आखिर कहां फंसा है भाजपा और अपना दल (एस) के बीच गठबंधन का पेंच, पढ़िये- इनसाइड स्टोरी
अनुप्रिया पटेल की पार्टी के वर्तमान में नौ विधायक हैं। उनकी पांच प्रतिशत कुर्मी वोट बैंक में मजबूत पकड़ मानी जाती है। वह 2014 चुनाव से भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हैं। उनके बयान के राजनीतिक मायने हैं।
नोएडा [अजय चौहान]। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सत्तासीन भाजपा और विपक्ष दल समाजवादी पार्टी समेत सभी राजनीति दलों ने तैयारी तेज कर दी है। खासकर भाजपा और सपा छोटे दलों के साथ गठबंधन को तरजीह दे रहे हैं। इस कड़ी में भारतीय जनता पार्टी का अपना दल (एस) के साथ गठबंधन फिलहाल अधर में है। केंद्र सरकार में राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सीटों को लेकर उनकी रस्साकशी जारी है। इसके बाद ही आगे का रास्ता तय होगा। हालांकि, उन्होंने सीटों की संख्या नहीं बताई।
वह सोमवार को नोएडा सेक्टर-24 स्थित फुटवेयर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के दीक्षांत समारोह में आई थीं। इस दौरान विधानसभा चुनावों में सीटों की संख्या के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी हमारे बीच रस्साकशी चल रही है। गठबंधन को लेकर आ रही चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि सीटों की स्थिति साफ होने के बाद ही आगे का रास्ता साफ होगा। उनके इस बयान से साफ है कि वह इस बार पहले से ज्यादा सीटें चाहती हैं। उस पर सहमति बनने के बाद ही वह आगे का रास्ता चुनेंगी।
अनुप्रिया पटेल की पार्टी के वर्तमान में नौ विधायक हैं। उनकी पांच प्रतिशत कुर्मी वोट बैंक में मजबूत पकड़ मानी जाती है। वह 2014 चुनाव से भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हैं। उनके बयान के राजनीतिक मायने हैं। उन्होंने पिछले दिनों भी यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग करते हुए कहा था कि राजनीतिक इतिहास साफ दिखाता है कि उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी या गठबंधन को ओबीसी का समर्थन मिलता है, वही सत्ता में आता है।
बता दें कि अपना दल (एस) और भारतीय जनता पार्टी पिछले कई सालों से गठबंधन में है। अपना दल (एस) प्रमुख अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री भी हैं। कहा जा रहा है कि इस बार अपना दल (एस) सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटें चाह रहा है। इसी को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
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यहां पर बता दें कि अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल जातीय जनगणना के पक्ष में लगातार अपने बयान दे रही हैं। दरअसल, जातीय जनगणना को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार मुखर हैं तो भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
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