Coronavirus: नोएडा के NICPR में होगी कोरोना की जांच, 24 घंटे के अंदर मिलेगी रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि कहा कि इस लैब की एक अच्छी बात ये भी है कि लैब में सिर्फ कोरोना ही नहीं अन्य बीमारियों की जांच भी हो सकेगी।
नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। सेक्टर-39 अंतर्गत राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईसीपीआर) में अब कोरोना संक्रमित लोगो के सैंपल की जांच की सकेगी। यहां पर छह हजार सैंपल की जांच किया जा सकेगा। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इसका उद्धघाटन कर दिया।
एनआईसीपीआर में माइक्रोबायोलॉजी विभाग में उच्च क्षमता वाली रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमर्स चैन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) मशीन लगाई गई है। इस से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को फायदा होगा। वर्तमान में इस से बड़ी लैब देश में अन्यत्र कहीं नहीं है। इसमें सैंपल 24 घंटे के अंदर ऑनलाइन ही सैंपल की रिपोर्ट दी जाएगी।
लैब में अन्य बीमारियों की होगी जांच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि कहा कि इस लैब की एक अच्छी बात ये भी है कि लैब में सिर्फ कोरोना ही नहीं अन्य बीमारियों की जांच भी हो सकेगी। भविष्य में, हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, डेंगू सहित अनेक बीमारियों की टेस्टिंग के लिए भी लैब में सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। देश के करोड़ों नागरिक कोरोना वैश्विक महामारी से बहुत बहादुरी से लड़ रहे हैं। लैब से उन्हें फायदा पहुंचेगा।
उच्च क्षमता है लैब
एनआइसीपीआर प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक लैब उच्च क्षमता वाली है, जिससे प्रतिदिन 6 हजार से अधिक कोरोना सैंपल की जांच हो सकेगी। इससे न सिर्फ नोएडा बल्कि दिल्ली एनसीआर के लोग को फायदा होगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के निर्देशन में स्थापित यह लैब अन्य दूसरी लैब से काफी मायनों में भिन्न है। वर्तमान में देश की किसी भी लैब में इतने बड़े पैमाने पर जांच नहीं हो रही है। लैब में नोएडा-एनसीआर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों से कोरोना सैंपल मंगवाकर जांच की जा सकेगी। सैंपल भेजने का काम संबंधित जिले के स्वास्थ्य विभाग का होगा। सैंपल मिलने के 24 घंटे बाद संबंधित विभाग को इसकी जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन ही सौंप दी जाएगी। बता दें एनआइसीपीआर स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा एक सरकारी संस्थान है, जहां कैंसर के मरीजों पर शोध होता है।