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Noida: तीन हजार उत्पाद इकाइयों को संचालित करने की अनुमति, बिना माल उत्पादन करना बना चुनौती

इकाइयों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत सप्लाई चेन को मंजूरी नहीं देना है क्योंकि जिन इकाइयों को अनुमति प्रदान की गई है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 04:02 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 04:02 PM (IST)
Noida: तीन हजार उत्पाद इकाइयों को संचालित करने की अनुमति, बिना माल उत्पादन करना बना चुनौती
Noida: तीन हजार उत्पाद इकाइयों को संचालित करने की अनुमति, बिना माल उत्पादन करना बना चुनौती

नोएडा, कुंदन तिवारी। लॉकडाउन में गौतमबुद्ध नगर में तीन हजार उत्पाद इकाइयों को संचालित करने की भले ही अनुमति सरकार ने दी है, लेकिन हकीकत में 1500 इकाइयों में उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इकाइयों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत सप्लाई चेन को मंजूरी नहीं देना है, क्योंकि जिन इकाइयों को अनुमति प्रदान की गई है। वह सभी मारुति, हीरो, होंडा, टाटा, अशोक लेलैंड, एलजी, सैमसंग जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरिंग (ओइएम) यूनिट्स हैं, लेकिन इन यूनिट्स की पार्ट सप्लाई चेन को संचालन की अनुमति नहीं मिली। ऐसे बड़ी इकाइयों में उत्पाद कैसे होगा।

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यही हाल 1150 गारमेंट्स एक्सपोर्ट ओरियंटेड यूनिट (ईओयू) के साथ भी हुआ। उत्पाद शुरू करने की अनुमति सीधे सरकार ने जारी कर दी। इनकी सहयोगी यूनिट, जिसमें कपड़ा निर्माण, सुई-धागा, डाइंग, प्रिटिंग, एम्ब्राइडरी की यूनिट को संचालन की अनुमति नहीं दी। इससे उत्पाद रुक गया, बड़ी इकाइयों की मदद ही नहीं हो सकी। ऊपर से सरकार का श्रमिकों को उनके घर भेजने का फैसला इकाइयों के सामने उत्पाद करने का संकट खड़ा कर चुका है।

नीवा अध्यक्ष दलजीत सिंह ने बताया कि मारुति ने हाल ही में कहा है कि उनकी सहयोग 40 फीसद यूनिट नोएडा में संचालित हो रही है। मारुति की सुब्रोस, सूमी मदरसन, डेंसो जैसी बड़ी-बड़ी इकाइयों को अनुमति दी, लेकिन उन्हें तैयार माल सप्लाई करने वाली चेन को अनुमति नहीं। इसी प्रकार हीरो, होंडा, टाटा, अशोक लेलैंड, एलजी, सैमसंग की भी स्थिति है। कोई भी बड़ी इकाई अपने यहां कंपोनेंट का स्टॉक जमा नहीं करती है। बहुत ही सिस्टम से काम होता है। बड़ी कंपनियां प्रतिदिन ऑर्डर टियर वन (मुख्य वेंडर एल वन) को जारी करती, टियर वन यह ऑर्डर टियर टू व थ्री को देती है। चार घंटे में माल तैयार होकर मुख्य वेंडर के पास पहुंच जाता है। पूरा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर मांग आपूर्ति पर टिका है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन राष्ट्रीय सचिव राजीव बंसल ने बताया कि बिना किसी योजना के इकाइयों को खोलने की अनुमति प्रदान की जा रही है, जिसमें संबंधित अधिकारियों को यह पता ही नहीं है कि कौन से इकाई किसकी सहयोगी इकाई के रूप में संचालित होती है। जब इकाइयों को रॉ मैटेरियल ही नहीं मिलेगा, तो यह इकाइयां स्वत: ही संचालन बंद कर देंगी। उद्यमी बोले, बड़ी-बड़ी इकाइयों की सप्लाई चेन को अनुमति नहीं देने से पैदा हुआ उत्पादन का संकट


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