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नोएडा जिला अस्पताल में इलाज में देरी और लापरवाही से मौत के बाद स्वजनों ने किया हंगामा

पेशाब बंद होने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे एक मरीज को डाक्टर और स्टाफ इलाज के नाम पर भटकाते रहे। हालत गंभीर होने के बाद मरीज को रेफर करने के बजाए घर जाने को कहा दिया। इलाज में हुई देरी और लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो गई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 04 Aug 2022 06:19 PM (IST)Updated: Thu, 04 Aug 2022 06:19 PM (IST)
नोएडा जिला अस्पताल में इलाज में देरी और लापरवाही से मौत के बाद स्वजनों ने किया हंगामा
पेशाब बंद होने की शिकायत के साथ पहुंचा था मरीज

नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में चिकित्सकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पेशाब बंद होना एवं सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे एक मरीज को डाक्टर और स्टाफ इलाज के नाम पर भटकाते रहे। हालत गंभीर होने के बाद मरीज को रेफर करने के बजाए घर जाने को कहा दिया। इलाज में हुई देरी और लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो गई। 

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बहन पार्वती देवी वे बताया कि दिल्ली के बदरपुर स्थित अली गांव निवासी भाई प्रकाश (35) का इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चल रहा था। उसे पिछले कई दिन से बुखार, सांस लेने में तकलीफ और पेशाब नहीं होने की समस्या थी।

तबीयत खराब होने पर बृहस्पतिवार सुबह पांच बजे मरीज को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। चिकित्सकों ने इलाज के बजाए बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) खुलने का इंतजार करने को कहा। करीब तीन घंटे तक मरीज दर्द से कराहता रहा। सुबह 8 बजे ओपीडी शुरू हुई तो पंजीकरण कराने के बाद कमरा नंबर-5 में जाने को कहा गया। एक घंटे लाइन में लगने के बाद 9 बजे जब फिजीशियन कक्ष में डाक्टर को दिखाने के लिए पहुंचे, तो महिला चिकित्सक ने अभद्रता की।

आरोप है कि सुरक्षागार्डों की मदद से धक्का देकर बाहर निकाल दिया। चिकित्सक ने कहा कि वह पुरुषों का इलाज नहीं करतीं। मामले की शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की। फिर ओपीडी इंचार्ज रश्मि सिंह मदद को आई। सर्जन के पास ले जाया गया। सर्जन ने इलाज से पूर्व अल्ट्रासाउंड कराने को कहा।

रेडियोलाजी विभाग में अल्ट्रासाउंड के लिए कराने में दो घंटे लग गए। अल्ट्रासाउंड जांच के बाद 12 बजे रिपोर्ट लेकर सर्जन के पास पहुंचे तो चिकित्सक ने फैटी लिवर की बात कही। पेशाब बंद होने की शिकायत पर यूरिन पास करने के लिए (कैथेटर) लगाया, लेकिन मरीज का दर्द बंद नहीं हुआ।

चिकित्सकों ने तला भुना खाने से परहेज करते हुए मरीज को घर ले जाने को कहा। सेहत में सुधार नहीं होने पर मरीज को रेफर करने की मांग की, लेकिन डाक्टरों ने कोई बात नहीं सुनी। मरीज को इमरजेंसी में लेकर आए, लेकिन यहां भी कोई मदद नहीं मिली।

दोपहर दो बजे ओपीडी बंद होने के बाद हालत में सुधार नहीं होने पर मरीज को दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे। अस्पताल के गेट पर तबीयत बिगड़ गई। मरीज बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। सुरक्षागार्डों की मदद से पुन: इमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन जबतक डाक्टर इलाज शुरू करते मरीज की मौत हो चुकी थी। इमरजेंसी में मौजूद चिकित्सकों ने करीब 20 मिनट तक मरीज के मौत की बात छुपाए रखी। नाराज स्वजन ने दो घंटे तक अस्पताल परिसर में हंगामा किया।

तीन बच्चोें के सिर से उठा पिता का साया

पत्नी सरिता ने बताया कि पति की मौत चिकित्सकों की लापरवाही से हुई है। चिकित्सक ने सही इलाज नहीं किया और न ही मरीज को रेफर किया। पेश से ड्राइवर पति की मौत से तीन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है।

जिला प्रशासन ने लिया मामले का संज्ञान

चिकित्सकों की लापरवाही के मामला का जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। सिटी मजिस्ट्रेट धर्मेंद्र सिंह ने पूरे मामले में सीएमओ डा. सुनील कुमार शर्मा से रिपोर्ट तलब की है। एसीपी नोएडा रजनीश वर्मा ने भी घटना का संज्ञान लिया। कानून व्यवस्था के मद्देनजर सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस को मौके पर भेजकर स्वजन को शांत कराकर घर भेजा। सीएमओ का कहना है कि अस्पताल पहुंचकर कार्यवाहक सीएमएस डा. राजेंद्र कुमार से मामले की जानकारी की है। समिति गठित कर जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।


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