Noida Home guard salary Scam: जांच के घेरे में शिकायतकर्ता भी, नहीं मिला था हिस्सा !
Noida Homeguard salary Scam अब तक की जांच में यह प्रकाश में आया है कि शिकायत करने का मुख्य कारण मनचाहा हिस्सा नहीं मिलना था। सभी आरोपित मिलकर घोटाले को अंजाम दे रहे थे।
ग्रेटर नोएडा [प्रवीण विक्रम सिंह]। फर्जी मस्टर रोल तैयार कर गौतमबुद्ध नगर में होमगार्ड के वेतन में करोड़ों की हेराफेरी करने के मामले में नया पर्दाफाश हुआ है। सूत्रों ने दावा किया है कि होमगार्ड वेतन घोटाले की शिकायत करने वाला अवैतनिक प्लाटून कमांडर भी जांच के घेरे में है। पुलिस किसी भी समय उस पर शिकंजा कस सकती है। खास बात है कि अब तक की जांच में यह प्रकाश में आया है कि शिकायत करने का मुख्य कारण मनचाहा हिस्सा नहीं मिलना था। सभी आरोपित मिलकर जब घोटाले को अंजाम दे रहे थे तो शिकायतकर्ता को घोटाले की रकम से मिला हिस्सा उसके मन मुताबिक नहीं था। इस बात को लेकर पहले विवाद हुआ और फिर मामले में एक अवैतनिक प्लाटून कमांडर बागी बन गया। उसने मामले की शिकायत एसएसपी वैभव कृष्ण से की। शिकायत करने के बाद जांच में अब वह खुद ही फंसता नजर आ रहा है।
पुलिस की जांच में उस दुकानदार की भूमिका भी संदिग्ध, जिसने कोतवाली की फर्जी मुहर तैयार की थी। गिरफ्तार किए गए आरोपितों को रिमांड पर लेकर पुलिस पता लगाने का प्रयास करेगी कि किस दुकानदार ने फर्जी मुहर तैयार की थी। इसके अलावा आशंका यह भी है कि आरोपितों ने फर्जी मस्टर रोल तैयार करने के साथ ही असली मस्टर रोल को कही और छिपाया है।
घोटाले में शामिल आरोपितों पर लगेगा गैंगस्टर
घोटाले में शामिल आरोपितों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होगी। एसएसपी ने कहा कि जांच पूरी होने व चार्जशीट लगने के बाद गैंगस्टर की भी कार्रवाई होगी।
होमगार्ड अनिल को क्लीन चिट
पुलिस की अब तक की जांच में होमगार्ड अनिल की कोई भूमिका नहीं मिली है। जब कार्यालय में आग लगी तो अनिल कार्यालय में ही एक कमरे में सोया था। उसके मुताबिक सुबह जब वह उठा तो कमरे में लगे दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी। इस वजह से पुलिस ने शक के आधार पर उसको भी हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। पुलिस ने बताया कि गुजरात से फोरेंसिक टीम इसलिए बुलानी पड़ी क्योंकि टीम आधुनिक संसाधनों से लैस है, जबकि यूपी की फोरेंसिक टीम अभी उतनी आधुनिक नहीं है।
तनु उपाध्याय (सीओ प्रथम, ग्रेटर नोएडा) का कहना है दो सदस्यीय फोरेंसिक टीम जांच से गुजरात के लिए आई थी। टीम ने जांच के दौरान सैंपल लिए है। जल्द ही टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
होमगार्ड के बयान दर्ज करेगी पुलिस
मस्टर रोल में साजिशन आग लगाने के मामले में पुलिस होमगार्ड अनिल के बयान दर्ज करेगी। जब आग लगी तो अनिल उसी कार्यालय में सोया था। पुलिस ने शुरूआत में उसको हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। लेकिन भूमिका नहीं मिलने पर उसको छोड़ दिया गया। पुलिस उसके बयान दर्ज कर पता करने का प्रयास करेगी कि कितने बजे उसे पता चला और उसके बाद उसने क्या किया।
दफ्तरों में तैनात होमगार्ड के मस्टररोल में भी फर्जीवाड़ा
थानों में ही नहीं बल्कि प्रशासनिक कार्यालयों में भी तैनात रहने वाले होमगार्ड के मस्टर रोल में फर्जीवाड़े की आशंका है। इसे देखते हुए पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। थाना व यातायात विभाग के अलावा जिले के अधिकांश प्रशासनिक कार्यालयों में भी होम गार्ड की तैनाती होती है व उसके मस्टर रोल जिला होमगार्ड कमांडेंट कार्यालय से ही बनते हैं। एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण ने कहा कि सैंपल के रूप में जो जांच हुई थी व अब तक हुई पड़ताल में दो वर्षों में थानों की ड्यूटी में ही चार करोड़ का फर्जीवाड़ा प्रतीत हो रहा है। पूरी आशंका है कि यह फर्जीवाड़ा इसके अतिरिक्त व अन्य प्रशासनिक कार्यालयों में भी इसी प्रकार हुआ होगा। इसकी विस्तृत जांच होगी। उसके बाद ही घोटाले की पूरी परतें खुलेंगी व कुल घोटाले की रकम का पर्दाफाश हो सकेगा। जिस तत्कालीन जिला कमांडेंट को इस प्रकरण में गिरफ्तार किया गया है वह 2017 से 2019 के बीच में गौतमबुद्ध नगर में तैनात रहा है।
50 फीसद की थी जिला कमांडेंट की हिस्सेदारी
एसएसपी ने जांच व आरोपितों से पूछताछ के बाद बुधवार शाम प्रेसवार्ता कर दावा किया कि फर्जीवाड़े में गिरफ्तार तत्कालीन जिला कमांडेंट की करीब 50 फीसद की हिस्सेदारी थी। सहायक जिला कमांडेंट को 25 फीसद जबकि फर्जी मस्टर रोल तैयार करने वाले प्लाटून कमांडर सहित अन्य को 25 फीसद रकम मिलती थी। अवैध तरीके से रकम निकालने के लिए फर्जी मस्टर रोल तैयार करने के दौरान जो होमगार्ड ड्यूटी पर नहीं हैं, फर्जी मस्टररोल में उनकी भी उपस्थिति दर्शा कर वेतन निकाला जाता था। इसके अलावा होमगाडरें के कार्य दिवस की संख्या को भी बढ़ाकर अनुचित रूप से अतिरिक्त वेतन निकाला जाता था।
17 जुलाई को इस प्रकरण में हुई थी एसएसपी से शिकायत
17 जुलाई को एक होमगार्ड ने एसएसपी से इस संबंध में शिकायत की थी व बताया था कि होमगार्ड कार्यालय में विभिन्न थानों व अन्य स्थानों पर होमगाडरें की ड्यूटी के संबंध में फर्जी मस्टररोल तैयार कर वेतन निकाले गए हैं। एसपी सिटी ने केवल मई व जून माह के 7 थाने व राजकीय संप्रेक्षण गृह में होमगार्ड की ड्यूटियों की सैंपल के रूप में जांच की। जांच में पाया गया कि 2 माह में ही करीब 114 होमगार्ड का 1327 दिवस का वेतन करीब सात लाख रुपये का फर्जी मस्टर रोल तैयार कर रकम निकाली गई है। यह फर्जीवाड़ा करीब 50 प्रतिशत अधिक रकम का था। इसके बाद ही शासन से शिकायत हुई व फिर पिछले दिनों सूरजपुर कोतवाली में कोतवाली प्रभारी की तरफ से धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत जिला कमांडेंट होमगार्ड कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज की गई थी।
चार घंटे जांच
फर्जी मस्टर रोल तैयार कर गौतमबुद्धनगर में होमगार्ड के वेतन घोटाले से जुड़े कागजातों को जिला कमांडेंट होमगार्ड कार्यालय में जलाकर खाक कर दिया गया था। आरोपितों तक पहुंचने के लिए जिला पुलिस ने दिन रात एक कर दिया है। शासन से सिफारिश के बाद बुधवार को कार्यालय में जहां आग लगी थी उस स्थल की जांच करने गुजरात से दो सदस्यीय फोरेंसिक टीम आई। टीम में दोनों निदेशक केए शर्मा व सीडी बपोदरा शामिल रहे। दोनों निदेशकों ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की। जांच लगभग चार घंटे तक चली। इस दौरान टीम ने जले मस्टर रोल के सैंपल लिए। टीम के पास ऐसी आधुनिक तकनीक है जो कि जले कागज को भी पढ़ सकती है। वहीं जांच में टीम यह भी बताएगी कि किस तरह आग लगाई गई थी। जांच के दौरान पुलिस टीम भी मौजूद रही। पुलिस ने फोरेंसिक टीम की जांच के बाद होमगार्ड कार्यालय के पांच कमरे सील कर दिए है। उन पर ताला लगा दिया गया है।
बता दें कि एसएसपी वैभव कृष्ण से जुलाई में एक होमगार्ड ने फर्जीवाड़ा कर होमगार्डों के ड्यूटी का फर्जी मस्टररोल तैयार कर भुगतान की शिकायत की थी। एसएसपी के निर्देश पर एसपी सिटी विनीत जायसवाल ने प्राथमिक जांच की थी। केवल मई व जून में शहर की सात कोतवाली की हुई जांच में ही बड़े स्तर पर ड्यूटी के मस्टररोल में गड़बड़ियां मिली थीं, प्रारंभिक जांच में सात लाख से अधिक फर्जी भुगतान पकड़ा गया था। फर्जी मस्टररोल तैयार कर हुए भुगतान में करीब 50 फीसद से अधिक फर्जी ड्यूटी पकड़ी गई थी, जबकि कोतवाली में काम करने वाले होमगार्ड के फर्जी मस्टर रोल बनाने में फर्जी मोहरों के इस्तेमाल की बात सामने आई थी। जिसके बाद एसएसपी ने इस प्रकरण की शिकायत शासन स्तर पर की थी। शिकायत के बाद जांच में तेजी आई थी और आरोपितों ने अपनी गर्दन फंसते देखकर साजिशन आग लगाई थी।