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Good News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 1 लाख से अधिक फ्लैट खरीदारों को राहत मिलने की आस

सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट)7.5 फीसद की दर से ही ब्याज लें।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 07:35 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 07:35 AM (IST)
Good News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 1 लाख से अधिक फ्लैट खरीदारों को राहत मिलने की आस
Good News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 1 लाख से अधिक फ्लैट खरीदारों को राहत मिलने की आस

नई दिल्ली/नोएडा [कुंदन तिवारी]। सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश बंद पड़ी बिल्डरों की परियोजना में जान फूंक सकता है। इससे नोएडा-ग्रेटर नोएडा में करीब एक लाख से अधिक फ्लैट खरीदारों को राहत मिलने की संभावना है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया है कि वह बिल्डरों से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट)7.5 फीसद की दर से ही ब्याज लें। साथ ही आदेश को जनवरी 2010 से प्रभावी किया जाए।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले दोनों प्राधिकरण बिल्डर से 11 फीसद ब्याज और 14 फीसद जुर्माना ब्याज वसूल रहे थे। इससे बिल्डरों पर ब्याज व जुर्माना ब्याज का आर्थिक बोझ कम होगा। इससे बंद पड़े प्रोजेक्ट चालू हो सकेंगे। फिलहाल नोएडा प्राधिकरण पर बिल्डरों का 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। इसमें मूलधन केवल 10,000 करोड़ रुपये ही है, लेकिन इस आदेश के बाद कुल देनदारी 18,000 से 20,000 करोड़ के बीच रह सकती है। यह एक अनुमानित आंकड़ा है।

छोटी देनदारी को ब्याज 2 से 4 गुना बनाया

बकायेदार आदेश में यह भी कहा गया है कि इतनी ज्यादा ब्याज दर से बिल्डर अपने कई प्रोजेक्ट नहीं बना पा रहे, खरीदार को फ्लैट का पजेशन नहीं मिल पा रहा है। ब्याज दर इतनी अधिक हैं कि बिल्डर के ऊपर छोटी सी देनदारी होने के बाद भी ब्याज उससे दो से चार गुना ज्यादा जो जाता है। ऐसे में बिल्डर के लिए प्राधिकरण की देनदारी चुका कर प्रोजेक्ट पूरा करना कॉस्ट से भी ज्यादा हो रहा है। इसका नुकसान यह होता है कि बिल्डर ब्याज चुकाने के बजाय प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ देता है।

इस बाबत सुबोध गोयल (सीएमडी, सिविटेक ग्रुप), सचिव, क्रेडाई पश्चिम उत्तर प्रदेश का कहना है कि बिल्डर के ऊपर से ब्याज की दर कम हो जाने के बाद वह खुद आगे आकर प्राधिकरण का बकाया फंड जमा करेगा। प्रोजेक्ट पूरा करने का प्रयास करना चाहेगा।

हरिओम दीक्षित (निदेशक गायत्री औरा) का कहना है कि ब्याज की दर कम होने से बकाया चुका बिल्डर डिफाल्टर की लिस्ट से हट जाएंगे। नए तरीके से लोन भी ले सकेंगे। अपना प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा करने लायक हो जाएंगे।  


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