Move to Jagran APP

अब तंबाकू उत्पादों के खिलाफ लड़ेगा विश्व, भारत की भूमिका अहम

दुनिया में तेजी से फैल रहे तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए विश्व के सभी देश एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 11:52 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 03:20 PM (IST)
अब तंबाकू उत्पादों के खिलाफ लड़ेगा विश्व, भारत की भूमिका अहम

नोएडा [धर्मेन्द्र मिश्रा]। देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू है। इसलिए अब दुनिया के सभी देश तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की शुरुआत करने जा रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में दुनिया के 180 देशों का विश्व स्तरीय सम्मेलन होने जा रहा है। यह सम्मेलन सात से 12 नवंबर तक चलेगा।

loksabha election banner

विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) का यह सातवां सम्मेलन होगा। इसे कॉप-7 (कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज 7) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी। प्रत्येक दो वर्ष में यह सम्मेलन एक बार होता है।

भारत में पहली बार हो रहा है सम्मेलन

भारत में यह सम्मेलन पहली बार होने जा रहा है, जो कि छह दिनों तक चलेगा। देश में इस सम्मेलन के होने का मतलब पिछले कुछ वर्षों से पूरी दुनिया में भारत की बढ़ती साख भी है। सम्मेलन में केन्द्र सरकार और सेक्टर 39 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेन्शन एंड रिसर्च की भूमिका अति महत्वपूर्ण होगी। सम्मेलन में 180 देशों के प्रतिनिधियों के अलावा कैंसर विशेषज्ञ व सरकारी एवं गैर सरकारी कैंसर संस्थान भी हिस्सा लेंगे।

जानें, दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा की सेहत सुधारने में यह एप कैसे होगा मददगार

तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि

दुनिया में तेजी से फैल रहे तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए विश्व के सभी देश एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एफसीटीसी की अनुसूची 15 में वर्णित प्रावधानों के तहत वर्ष 2012 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि पहले भी हुई है, जिसे अभी तक सिर्फ 13 देशों ने ही अंगीकार किया है। यदि 40 देश इसे और अंगीकार कर लेते हैं तो यह कानून के रूप में सिर्फ 90 दिन में पूरी दुनिया में प्रभावी हो जाएगा। इसमें तंबाकू उत्पादों के अवैध व्यापार को बढ़ावा देने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। संभावना है कि विश्व के 40 से अधिक देश इस अंतरराष्ट्रीय संधि को अंगीकार करेंगे।

भारत में तंबाकू का 80 फीसद कुप्रभाव

गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने दुनिया में एसएलटी के कुप्रभावों को देखते हुए वर्ष 2005 में एफसीटीसी (फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल) का गठन किया था। इसका मकसद तंबाकू के अवैध व्यापार को रोकना है। भारत ने भी इस संगठन को ज्वाइन किया है। इसका छठां सम्मेलन वर्ष 2014 में मॉस्को में स्मोकलेस टोबैको (एसएलटी) को लेकर हुआ था, जिसमें एसएलटी (धुआं रहित तंबाकू) को ग्लोबल हेल्थ प्रॉब्लम (विश्व स्तरीय स्वास्थ्य समस्या) करार दिया गया था।

दिल्ली में बर्ड फ्लू की दहशत के बीच मंत्री का मंडी दौरा, देखें तस्वीरें

भारत व बंग्लादेश में एसएलटी का इस्तेमाल और इसका कुप्रभाव 80 फीसद तक होने के कारण अप्रैल 2016 में नोएडा के सेक्टर 39 स्थित एनआइसीपीआर में ग्लोबल नॉलेज हब ऑन टोबैको की स्थापना की गई। तब से यह संस्थान पूरी दुनिया को तंबाकू के कुप्रभावों व पूरी दुनिया में इस पर हुए रिसर्च एवं इलाज के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के 121 देश एसएलटी के कुप्रभावों से पीड़ित हैं।

एनआइसीपीआर के निदेशक रवि मेहरोत्रा का कहना है कि सम्मेलन को कराने का पूरा श्रेय भारत सरकार व स्वास्थ्य मंत्रालय को जाता है। उम्मीद है कि सम्मेलन में पूरी दुनिया तंबाकू से होने वाले कैंसर को रोकने का प्रभावी कदम उठाएगी। इसमें एनआइसीपीआर 11 नवंबर को आठ देशों के साथ विशेष कॉन्फ्रेंस करेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.