नोएडा में बनेगा देश का पहला हैवी हॉल रिसर्च इंस्टीट्यूट, ऑस्ट्रेलिया से आएंगे सभी उपकरण
माल ढुलाई में तेजी लाने व रेलवे मार्ग पर यात्री ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर समयबद्धता सुधारने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है।
नोएडा [अर्पित त्रिपाठी]। देश में माल ढुलाई में तेजी लाने व रेलवे मार्ग पर यात्री ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर समयबद्धता सुधारने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इस कॉरिडोर पर कई हजार टन लेकर मालवाहक ट्रेन दौड़ेंगी। इस कॉरिडोर को और सुविधाजनक बनाए जाने के साथ ही रेलवे की तकनीक को और विकसित करने के लिए देश का पहला हैवी हॉल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचएचआरआइ) 15 नवंबर से नोएडा के सेक्टर 145 में बनना शुरू हो जाएगा। इसके सिविल का कार्य नोएडा की कंपनी हिमकोन इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड करेगी। सिविल कार्य पूरा करने का लक्ष्य 18 महीने का रखा गया है। इसके बाद यहां ऑस्ट्रेलिया से अत्याधुनिक मशीनें, उपकरण आदि लाए जाएंगे। इसी जगह पर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआइएल) का कमांड कंट्रोल रूम भी बनेगा। 2021 तक इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
सेक्टर 145 में 22.5 हेक्टेयर जमीन पर ये रिसर्च इंस्टीट्यूट बनेगा। इसके अलावा यहां शोध किया जाएगा। शोध का विषय हैवी हॉल (भारी भरकम चीजों को एलिवेटेड ट्रैक पर चलाना) होगा। इस विषय पर रेलवे के इंजीनियर रिसर्च करेंगे, जिसके बाद उस तकनीकी का प्रयोग भारतीय रेलवे में किया जाएगा।
डीएफसीसीआइएल के मुताबिक भविष्य में हमें ऐसे रेलवे ट्रैक चाहिए, जो जमीन पर न बनाकर हवा में यानी एलिवेटेड तर्ज पर बनाए जाएं। इन ट्रैकों पर 1.5 किलोमीटर की मालगाड़ी चलेंगी, जिनका लोड के साथ वजन करीब 13.5 हजार टन के आसपास होगा। इनकी क्षमता को और बढ़ाने, ट्रैक पर ट्रैफिक कम करने, माल को जल्द से जल्द गंतव्य तक पहुंचाने आदि पर यहां शोध होगा। यहां अधिकारियों व शोधार्थियों के लिए आवास भी बनेगा। इन ट्रैकों पर ऐसी मालवाहक ट्रेन दौड़ेंगी, जिनमें एक के ऊपर एक ट्रक खड़े होकर गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। कंटेनर रूपी इन डिब्बों की उंचाई भी काफी होगी।
ऑस्ट्रेलिया से आएंगे सभी उपकरण, विदेशी विशेषज्ञ करेंगे शोध की शुरुआत
डीएफसीसीआइएल के मुताबिक सिविल कार्य पूरा होने के बाद सभी उपकरण व मशीनें आएंगी। इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। शुरुआत में विदेशी विशेषज्ञ यहां शोध करेंगे। दरअसल विदेशों में मालवाहक ट्रेनों के लिए अलग से ट्रैक हैं जिन पर शोध होते रहते हैं। इन्हीं देशों के विशेषज्ञ यहां आकर भारतीय रेलवे के इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने के साथ ही शोध भी करेंगे। शोध में भौगोलिक स्थित को ध्यान में रखकर ट्रैक को अपग्रेड करेंगे। साथ ही मालवाहक ट्रेनों की क्षमता, गुणवत्ता, स्पीड आदि पर भी कार्य किया जाएगा।
15 नवंबर से देश का पहला हैवी हॉल रिसर्च इंस्टीट्यूट बनना शुरू हो जाएगा। नोएडा की ओक कंपनी को इसकी सिविल का कार्य सौंपा गया है जिसे 18 महीने में कार्य पूरा करना है। इसके बाद यहां अत्याधुनिक मशीनें व उपकरण लगाने का कार्य शुरू किया जाएगा। 2021 में फ्रेट कॉरिडोर के साथ ये भी शुरू हो जाएगा।
-वाइपी शर्मा, उप मुख्य परियोजना प्रबंधक, नोएडा इकाई, डीएफसीसीआइएल
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