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Coronavirus: खादिम को मुसीबत में छोड़ गए मखदूम,पढ़ें एक सहायक की दिल को छू लेने वाली कहानी

मुसीबत का हर व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह शब्द दुख तब ज्यादा देता है जब करीबी ही मुसीबत के समय अपना फायदा देखकर अकेला छोड जाए।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 06:09 PM (IST)
Coronavirus: खादिम को मुसीबत में छोड़ गए मखदूम,पढ़ें एक सहायक की दिल को छू लेने वाली कहानी
Coronavirus: खादिम को मुसीबत में छोड़ गए मखदूम,पढ़ें एक सहायक की दिल को छू लेने वाली कहानी

 ग्रेटर नोएडा, प्रवीण विक्रम सिंह। वक्‍त भी क्‍या चीज है। अपनों का साथ मिल जाए तो दुख की घड़ी भी हंसते-हंसते कट जाती है मगर साथ नहीं मिले तो काटे नहीं कटता है। आइए पढ़ते हैं एक ऐसी ही दिल को छू लेने वाली कहानी जब एक घरेलू सहायिका को उसके मालिक मुसीबत में छोड़ गए।  मुसीबत हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा शब्द होता है जिसका उसे कभी भी सामना करना पड़ सकता है लेकिन यह शब्द दुख तब ज्यादा देता है जब करीबी ही मुसीबत के समय अपना फायदा देखकर अकेला छोड़ दें।

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ऐसा ही कुछ हुआ कोरोना महामारी के दौरान एक घरेलू सहायिका (खादिम) के साथ। जब महिला को ग्रेटर नोएडा के अस्पताल में अकेला छोड़ कर उसके मालिक (मखदूम) अपने परिवार के साथ अच्छी सुविधा वाले एसी अस्पताल में खुद के खर्च पर उपचार के लिए भर्ती हो गए और घरेलू सहायिका का उपचार निश्शुल्क ग्रेटर नोएडा में चला।

कई वर्षों से कर ही थी काम

दरअसल, ग्रेटर नोएडा के रहने वाले मालिक व परिवार के चार सदस्यों के घर में एक घरेलू सहायिका पिछले कई वर्षों से काम कर रही है। बीते दिनों मालिक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो परिवार के सदस्यों व घरेलू सहायिका की भी जांच की गई सभी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घरेलू सहायिका को ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल जहां निश्शुल्क इलाज हो रहा है, वहां छोड़ कर मालिक परिवार समेत नोएडा के एसी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती हो गए। 

मुसीबत में छोड़ गए साहब 

वहां खुद के खर्च पर मालिक ने अपना व परिवार के सदस्यों का उपचार कराया लेकिन घरेलू सहायिका को वहां नहीं ले गए। देखने वाला नजारा तब बना जब मंगलवार को घरेलू सहायिका व मालिक दोनों एक साथ अलग-अलग अस्पताल से डिस्चार्ज हुए और मालिक फिर से घरेलू सहायिका को लेने के लिए ग्रेटर नोएडा के अस्पताल पहुंच गए लेकिन घरेलू सहायिका ने काम करने से मना कर दिया।

इधर, कोरोना महामारी से जूझ रहे सात मरीजों को मंगलवार को उपचार के बाद शारदा अस्पताल से छुट्टी मिली। सभी की दो रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। कोरोना को मात देने वालों में पांच पुरुष व दो महिलाएं शामिल हैं। जिन लोगों को डिस्चार्ज किया गया उसमें एक नौ साल का बच्चा भी शामिल है। खास बात है कि नौ वर्षीय बच्चे ने कोरोना से अकेले ही जंग लड़ी। जब वह अस्पताल में भर्ती रहा तो उसके परिवार का कोई भी सदस्य भर्ती नहीं था। बच्चे ने अकेले ही हौसला बनाए रखते हुए कोरोना को मात दी है।


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