देशभर के मदरसे में एनआइओएस का पाठ्यक्रम पढ़ेंगे बच्चे
शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि एनआइओएस द्वारा मदरसों में गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए प्रस्तावित विषयों को लेकर किसी तरह की बाध्यता नहीं है। यह छात्रों की इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह किस विषय का चयन करना चाहते हैं।
नोएडा [सुनाक्षी गुप्ता]। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) ने भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम के जरिये छात्रों को देश की संस्कृति से जोड़ने की पहल की है। इसके तहत मदरसा शिक्षा को एनआइओएस में विषय के रूप में मान्यता दी जाएगी, ताकि मदरसों में पढ़ रहे छात्र भी शैक्षणिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनकर देश के विकास में योगदान दे सकें। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि एनआइओएस द्वारा मदरसों में गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए प्रस्तावित विषयों को लेकर किसी तरह की बाध्यता नहीं है। यह छात्रों की इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह किस विषय का चयन करना चाहते हैं।
फिलहाल देश के 500 मदरसों को एनआइओएस के पाठ्यक्रम से संबद्ध किया जाएगा, जिनमें 100 मदरसों में इसी साल से पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है। इस समय एनआइओएस द्वारा मान्यता प्राप्त 100 मदरसों में 50 हजार छात्र शिक्षा ले रहे हैं। संस्थान के अनुसार भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रम को माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर बांटकर, इसे संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित कर किताब और ई-लर्निंग सामग्री तैयार की गई है। एनआइओएस के पाठ्यक्रम में उपलब्ध विषय मदरसों में भी पढ़ाए जाएंगे।
भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रम: एनआइओएस चेयरपर्सन प्रो. सरोज शर्मा के अनुसार इन भारतीय ज्ञान परंपरा के पाठ्यक्रमों के अंतर्गत वेद विषय में रामायण महाकाव्य के आख्यान, समरसश्लोकसंग्रह, एकात्मकस्तोत्र, अनेक वैदिक सूक्त, शिक्षावल्ली, ब्रह्मावल्ली, भृगुवल्ली जैसे विषयों शामिल है। वहीं, योग विषय में श्वासनभ्यास, सूर्य नमस्कार, आसन और क्रियाएं, प्राणायाम, यम, नियम, हठ योग, शिथिलीकरण व्यायाम, क्रोध प्रबंधन व्यायाम, एकाग्रता और याददाश्त बढ़ाने वाले व्यायाम, पतंजलि कृत योग सूत्र के कुछ अंशों को रेखांकित किया गया है।
व्यावसायिक कौशल विषय के अंतर्गत प्राचीन भारतीय संस्कृति के विभिन्न कौशल विधियों को दिखाया गया है, जैसे पौधों में पानी देना, गो पालन, गोशाला की साफ सफाई तथा स्वच्छता, बगीचे की देखभाल, सिलाई एवं कटाई, वनस्पति सेवा, जैविक कृषि, नवग्रह वन, कलम बांधना, क्यारियां बनाना, खेत के लिए जीवमित्र का निर्माण, भोजन बनाने तथा परोसने की विधियां जैसे दैनिक जीवन से जुड़े विभिन्न कौशल से संबंधित विषयों को बताया गया है।
विज्ञान विषय में सृष्टि की उत्पत्ति, पंचमहाभूत, पृथ्वी तथा प्राकृतिक संसाधन, वेदों में जल वायु वनस्पति, भूमि संरक्षण जैसे विषयों के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान की नवीन संकल्पनाओं का भी उल्लेख किया गया है। संस्कृत विषय पढ़कर संस्कृत भाषा सीखने के साथ-साथ सरल संस्कृत का अर्थ और भावार्थ ज्ञान की योग्यता का विकास किया जा सकता है।