CAIT ने ई-कॉमर्स पोर्टलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन करने की घोषणा की
सुशील कुमार जैन ने कहा कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां मूल्य निर्धारण बड़ी छूट माल को नियंत्रित करने और अपने संबंधित पोर्टलों पर ब्रांड के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ अवैध सांठगांठ करका बेचने वाले हैं जो देश के छोटे व्यवसायों को बर्बाद कर रहे हैं।
नोए़डा, कुंदन तिवारी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारत में ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों द्वारा मनमानी व्यावसायिक प्रथाओं और FDI नीति के लगातार उल्लंघन के खिलाफ 20 नवंबर से 31 दिसंबर तक देश भर में 40 दिनों का आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। बी सी भरतिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवीण खंडेलवाल, सीएआईटी के महासचिव और सुशील कुमार जैन संयोजक दिल्ली एनसीआर ने कहा कि इस आंदोलन का उद्देश्य ई-कॉमर्स कंपनियों को बेनकाब करना है जो कानून की किसी भी तरह से मानती नही हैं। सरकार की नीतियों एवं नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं।
कैट ने सरकार से मांग की है कि इन ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही शुरू करें, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के खुदरा व्यापार को नियंत्रित या एकाधिकार करने के लिए एक भयावह व्यापार के तरीको का पालन कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन के माध्यम से, देश भर के व्यापारी सरकार को तुरंत एक ई-कॉमर्स नीति की घोषणा करने के लिए प्रभावित करेंगे, एक ई-कॉमर्स निति नियामक प्राधिकरण का गठन करने और एफडीआई के प्रेस नोट 2 की खामियों को समाप्त करके एक नए प्रेस नोट की घोषणा करने की मांग करते है ।
सुशील कुमार जैन ने कहा कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां मूल्य निर्धारण, बड़ी छूट, माल को नियंत्रित करने और अपने संबंधित पोर्टलों पर ब्रांड के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ अवैध सांठगांठ करका बेचने वाले हैं जो देश के छोटे व्यवसायों को बर्बाद कर रहे हैं। भरतिया और खंडेलवाल भी कई बैंकों को भी अगाह करते हैं, जो आरबीआई के नियमों के खिलाफ इन पोर्टलों को कैशलैस और डिस्काउंट सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में डेटा इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अनधिकृत तरीके से हासिल किया जाता है।
सुशील कुमार जैन ने कहा कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां आर्थिक आतंकवादी हैं और वे भारतीय अर्थव्यवस्था पर हावी होना चाहते हैं, जिसे भारत के व्यापारी होने नहीं देंगे और पूरे देश में इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ये कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण हैं, जो भारतीय खुदरा बाजार पर कब्जा और नियंत्रण करके देश को आर्थिक गुलामी की ओर ले जाना चाहती हैं। न तो हम चुप बैठेंगे और न ही केंद्र या राज्य सरकार को इस मामले पर चुप बैठने देंगे।
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