ठोस सबूत हो पास तभी आयकर चोरी का आरोप लगाए, सिटीजन चार्टर सिस्टम से रुकेगा शोषण
सरकार सिटीजन चार्टर सिस्टम को मजबूती से आयकर में लागू करने का निर्देश दिया है। इससे आयकरदाताओं का शोषण रुकेगा।
नोएडा [कुंदन तिवारी]। टैक्स चोरी का आरोप लगाना अब आयकर अधिकारियों को भारी पड़ सकता है। इसमें उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है। सरकार सिटीजन चार्टर सिस्टम को मजबूती से आयकर में लागू करने का निर्देश दिया है। इसमें छह प्वाइंट पर आयकरदाताओं को सजग किया है, जबकि 13 प्वाइंट के जरिये आयकर विभाग के अधिकारियों को रवैया सुधारने की नसीहत को शामिल किया है। नई व्यवस्था से आयकर विभाग की छवि को सुधारने की बात भी कही जा रही है।
टैक्स प्रोफेसनल्स का कहना है कि पहले आयकर विभाग में किसी भी करदाता की आय को आयकर अधिकारी तत्काल चैलेंज कर देते थे। यह मानते थे कि जितनी आय करदाता दिखा रहा है, उससे कहीं अधिक उसकी आमदनी है। इन आरोपों के साथ उसकी जांच शुरू कर देते थे। इसके बाद करदाता की वर्तमान से लेकर पिछले छह वर्ष लेन-देन निकाल लिया जाता था।
भारी भरकम टैक्स निकाल कर उसको जमा करने का नोटिस थमा दिया जाता था। इसके बाद करदाता अपने दस्तावेजों के आधार पर आयकर अपील में जाता और लंबी लड़ाई के बाद साबित कर पाता था कि उसने जो कर जमा किया है, वह सही है लेकिन इस दौरान उसका काफी समय बर्बाद होता था।
मानसिक शोषण अलग से झेलना पड़ता था। सरकार ने आयकर विभाग की छवि सुधारने का मौका दिया है। जिससे लोग खुद ब खुद आयकर जमा करें। सिटीजन चार्टर के जरिये आयकर अधिकारियों को यह भी कहा गया कि जो आयकरदाता कर जमा कर रहा है और अपनी आय दर्शा रहा है, उस पर विश्वास किया जाना चाहिए। यदि आप के पास कर चोरी का ठोस प्रमाण हैं, तभी उसको कर चोर समझे। अन्यथा अपील में जाने और वहां से बरी होकर आने पर आप की जवाबदेही होगी। इसमें आप को सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
अधिकारियों की जवाबदेही ही संख्या में करेगी बढ़ोतरी
आयकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जिस प्रकार से सरकार ने अंकुश लगाया है, उसका सीधा फायदा आने वाले समय में आयकरदाताओं की संख्या बढ़ोतरी में देखा जा सकेगा। आयकर अधिकारियों की अब कर चोरी के आरोप लगाने पर जवाबदेही तय हो चुकी है। इससे कार्यालय में आयकरदाताओं का शोषण भी रुकेगा।
विभाग की छवि में निखार आने की संभावना
जिस प्रकार से सरकार ने आयकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर शिकंजा कसा है, उससे आने वाले समय में विभाग की छवि में निखार आने की संभावना है। अधिकारियों की जवाबदेही तय होने से फर्क पड़ेगा। आयकरदाताओं पर अधिकारियों को विश्वास बढ़ेगा।
राजीव शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, गौतमबुद्धनगर ब्रांच ऑफ सीआइआरसी ऑफ आइसीएआइ
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