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उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे मोजर बियर के कर्मचारी

नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मोजर बियर फैक्ट्री को दिवालिया घोषित कर दिया है। इस फैक्ट्री के कर्मचारी इंसाफ के लिए अब उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। कर्मचारियों ने बताया कि एनसीएलटी ने अपना फैसला सुनाते समय कर्मचारियों के हितों को ध्यान में नहीं रखा है। कर्मचारी इसकी शिकायत दिल्ली पुलिस की इकॉनिमिकल आफेंस ¨वग में भी दर्ज कराएंगे। सूरजपुर उद्योग विहार स्थित फैक्ट्री के प्रबंधक सतेंद्र नागर ने बताया कि 199

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 07:48 PM (IST)
उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे मोजर बियर के कर्मचारी
उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे मोजर बियर के कर्मचारी

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मोजर बेयर फैक्ट्री को दिवालिया घोषित कर दिया है। इस फैक्ट्री के कर्मचारी इंसाफ के लिए अब उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। कर्मचारियों ने बताया कि एनसीएलटी ने अपना फैसला सुनाते समय कर्मचारियों के हितों को ध्यान में नहीं रखा है। कर्मचारी दिल्ली पुलिस की इकॉनिमिकल आफेंस ¨वग में भी अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे।

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सूरजपुर उद्योग विहार स्थित फैक्ट्री के प्रबंधक सतेंद्र नागर ने बताया कि 1998 में नोएडा फेस दो व 2002 में ग्रेटर नोएडा उद्योग विहार में फैक्ट्री लगाई गई थी। 2012 तक आप्टिकल मीडिया बनाने के क्षेत्र में फैक्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही थी व दूसरे पायदान पर काबिज थी। इस इकाई में 11 हजार स्थाई कर्मचारियों के सहयोग से यहां डीवीडी, पेन ड्राइव, एलईडी उत्पाद, सोलर पावर, इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंस आदि का उत्पादन हो रहा था। यहां से करीब 400 मिलियन का निर्यात किया जा रहा था। पूर्ववर्ती सरकार में इकाई को खूब ऋण बांटा गया। टैक्स में छूट दी गई। ऋण चुकाने की बारी आई तो इकाई ने खुद को दिवालिया घोषित करने का स्वांग रचना शुरू कर दिया। नवंबर 2017 में प्रदूषण विभाग के नोटिस का हवाला देकर फैक्ट्री में तीन दिन की छुट्टी कर दी। इसके बाद इकाई को पूरी तरह से बंद घोषित कर दिया। कर्मचारियों के पक्ष में पेड लीव का नोटिस चस्पा कर दिया, लेकिन एक साल से अधिक समय से वेतन भी नहीं दिया गया। इससे कर्मचारियों की माली हालत भी दयनीय है। करीब ढाई हजार कर्मचारियों का परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया। इसके अलावा वेंडर इकाइयों पर भी गहरा असर पड़ा है। इन इकाइयों में काम करने वाले करीब 30 हजार से अधिक कर्मचारी भी प्रभावित हो गए हैं।

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नई कंपनी शुरू करने का आरोप : मोजर बेयर के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि इकाई को बंद करने की प्रकिया को साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। बैक ऋण लेकर दूसरे नाम से मध्य प्रदेश में फैक्ट्री लगाई गई है। ग्रेटर नोएडा की इकाई में उत्पादन कम कर मध्य प्रदेश में काम बढ़ाने पर विशेष ध्यान रहा। इस दौरान गौतमबुद्ध नगर की दोनों इकाई पर ऋण बढ़ कर 4356 करोड़ रुपये पहुंच गया। आरोप है कि कर्ज माफ कराने के बाद 337 करोड़ का सेटलमेंट बैंक के साथ कर दिवालिया घोषित कराया गया है। इसमें कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की गई है।

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कर्मचारी कल्याण का मुद्दा ले जाएंगे न्यायालय : कर्मचारियों का कहना है कि बैंक सेटलमेंट के साथ कर्मचारी हितों का ध्यान रखते हुए न्यायालय के समक्ष एक साल का बकाया वेतन, अगले दो साल की ग्रास सैलरी का पूरा भुगतान, सभी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी, ईपीएफ का फुल सेटलमेंट करने की गुहार लगाएंगे। इसके अलावा निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी।


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