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संशोधित.. जेपी इंफ्राटेक को बचाने का जेपी एसोसिएट्स का प्रयास विफल

जेपी एसोसिएट्स कंपनी के शेयर होल्डर व प्रमोटर्स को अपने पक्ष में कर बिड हासिल करने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका को अदालत ने बुधवार को खारिज करते हुए उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। एसोसिएट्स की योजना थी कि प्रमोटर्स से मिलने वाले 400 करोड़ रुपये करीब 3300 करोड़ रुपये होम बायर्स के और यमुना टोल की अगस्त 2012 से कंपाउंडिग ग्रोथ 24 फीसद जिसमें अनुरक्षण के बाद करीब 6 फीसद की बचत मिलाकर 36 माह में 17756 फ्लैटों का निर्माण कर होम बायर्स को कब्जा देने की थी। वह बात उसने अपनी एनुअल जर्नल मीटिग (एजीएम) में भी की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी इस योजना को भी नकार दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जेपी निवेशकों में खुशी की लहर है। अब उन्हें अपना आशियाना जल्द मिलने की उम्मीद है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 07:18 PM (IST)
संशोधित.. जेपी इंफ्राटेक को बचाने का जेपी एसोसिएट्स का प्रयास विफल
संशोधित.. जेपी इंफ्राटेक को बचाने का जेपी एसोसिएट्स का प्रयास विफल

जागरण संवाददाता,नोएडा :

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जेपी एसोसिएट्स प्रबंधन कंपनी के शेयर होल्डर व प्रमोटर्स को अपने पक्ष में कर बिड हासिल करने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका को अदालत ने बुधवार को खारिज करते हुए जेपी एसोसिएट्स को बिड प्रक्रिया से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।

जेपी एसोसिएट्स की योजना थी कि प्रमोटर्स से मिलने वाले 400 करोड़ रुपये, होम बायर्स के करीब 3300 करोड़ रुपये और यमुना एक्सप्रेस वे से मिलने वाले टोल की अगस्त 2012 से अब तक कंपाउंडिग ग्रोथ जो 24 फीसद है उसके अनुरक्षण के बाद करीब शेष 6 फीसद धनराशि से वह 36 माह में 17,756 फ्लैटों का निर्माण करेगा व होम बायर्स को कब्जा दे देगा। वह बात जेपी एसोसिएट्स के प्रबंधन ने एनुअल जर्नल मीटिग (एजीएम) में भी की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी इस योजना को भी नकार दिया। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद जेपी निवेशकों में खुशी की लहर है। उन्हें उम्मीद है कि अब उनका आशियाना जल्द मिल जाएगा।

निवेशकों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्रा की मूल कंपनी जेपी एसोसिएट को बिड प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जेपी इंफ्रा की दिवालिया समाधान प्रक्रिया 90 दिन में पूरी हो जाए। न्यायालय ने सिर्फ सरकारी निर्माण कंपनी नेशनल बिल्डिग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) और सुरक्षा रियल्टी को लेनदारों की समिति (सीओसी) के सामने अपने संशोधित प्रस्ताव पेश करने की इजाजत दी है। इसके साथ ही अडानी ग्रुप जिसने कथित तौर पर जेपी इन्फ्रा की लटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 1,700 करोड़ की पेशकश की थी को भी बोली लगाने की दौड़ से बाहर कर दिया है। 

निवेशकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर बताया कि कोर्ट ने कारपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया आज से 90 दिन के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। इसमें से पहले 45 दिन में दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत सिर्फ सुरक्षा रियलटी और एनबीसीसी से ही संशोधित समाधान योजना मंगाई जा सकेगी। कोर्ट ने कहा कि यह दोनों जेपी इंफ्राटेक के लिए अंतिम बोली लगाने वालों में थे। दोनों ने पहले भी समाधान योजना पेश की थी। वह बातचीत के बाद कर्जदाताओं की समिति के समक्ष अपनी संशोधित योजना पेश करें और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण को सौंपें। दूसरे चरण की 45 दिन की अवधि 21 दिसंबर, 2019 से शुरू होगी। इसमें किसी भी तरह की कठिनाई को दूर करने और निर्णय करने वाले प्राधिकार को उचित आदेश पारित करने के लिए समय दिया गया है।

गौरतलब है कि यह मामला सबसे पहले अगस्त 2017 में आइडीबीआइ बैंक  की ओर से ऋणदाताओं की ओर से दिवालिया कार्रवाई के लिए एक अर्जी दाखिल करने के बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) के सामने आया था।


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