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भारतीय इंजीनियर के शोध ने अमेरिका में किया झंडा बुलंद

नोएडा नोएडा सेक्टर-137 स्थित सुपरटेक इकोसिटी निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर अविनाश कुमार ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में भारत का झंडा बुलंद किया हैं। उन्होंने अमेरिकी कंपनी में नियुक्ति के बाद चालकरहित कार बनाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 09:57 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 09:57 PM (IST)
भारतीय इंजीनियर के शोध ने अमेरिका में किया झंडा बुलंद
भारतीय इंजीनियर के शोध ने अमेरिका में किया झंडा बुलंद

जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा सेक्टर-137 स्थित सुपरटेक इकोसिटी निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर अविनाश कुमार ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में भारत का झंडा बुलंद किया हैं। उन्होंने अमेरिकी कंपनी में नियुक्ति के बाद चालकरहित कार बनाई है। इस स्वचालित कार में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई सेंसर्स लगे हैं, जैसे कैमरा, रडार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि। इसे जल्द ही बाजार में उतारने के लिए अविनाश दिन-रात काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्वचालित कार आने वाले समय में दुनियाभर में छा जाएगी। अमेरिका के बाद वह भारत में इस कार को बनाने में सहयोग करना चाहते हैं। गूगल में दें चुके हैं सेवाएं :

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मूल रूप से बिहार के पटना निवासी अविनाश की माता कृष्ण कुमारी सिंह और पिता अशोक कुमार सिंह सेक्टर-137 स्थित सुपरटेक इकोसिटी में रहते है। माता कृष्ण कुमारी सिंह ने बताया कि बेटे ने पश्चिम बंगाल के बर्दवान के रूपनारायणपुर जिले में डीएवी पब्लिक स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की। सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में 90 फीसद अंक हासिल किए थे। गणित और विज्ञान में रुचि के चलते उन्हें इलाहाबाद आइआइआइटी (इंडियन इंस्टिट्यूट आफ इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी) में दाखिला मिला। 2015 में बेंगलुरु में गूगल में नौकरी का अवसर मिला था। इसके बाद सिगापुर व जर्मनी में अमेजन में नौकरी की। अमेरिका की एक नामी आटो कंपनी ने अविनाश को करोड़ों का पैकेज दिया है। वह ऐसे प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं, जिसे लोग अपने सपनों में देखते हैं। इस कार से भारत में आएगी नई क्रांति:

अपनी मेहनत के बूते इंजीनियर अविनाश स्वचालित कार बनाने वाली कंपनियों में शीर्ष शोधकर्ताओं में शुमार हो गए हैं। अविनाश बताते हैं कि उनके सभी बाधाओं को दूर कर आगे बढ़ने की रूचि ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। वर्तमान में वह अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहकर रात-दिन मेहनत कर स्वचालित कार पर काम कर रहे हैं। स्वचालित कार के भारत में आने के बाद एक नई क्रांति देश में आएगी। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं।


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