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ग्रीन बेल्ट बनेगी बागवानी की नर्सरी

घरों व सोसायटी में बागवानी करने के लिए आसानी से फल-फूल के पौधों की विभिन्न वैरायटी खाद बीज उपलब्ध हो इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ग्रीन बेल्ट या हाइटेंशन लाइन के नीचे की जगह नर्सरी के लिए लीज पर देता है जिससे प्राधिकरण को राजस्व प्राप्त होता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 10:29 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 10:29 PM (IST)
ग्रीन बेल्ट बनेगी बागवानी की नर्सरी
ग्रीन बेल्ट बनेगी बागवानी की नर्सरी

जागरण संवददाता, नोएडा: घरों व सोसायटी में बागवानी करने के लिए आसानी से फल-फूल के पौधों की विभिन्न वैरायटी, खाद, बीज उपलब्ध हो, इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ग्रीन बेल्ट या हाइटेंशन लाइन के नीचे की जगह नर्सरी के लिए लीज पर देता है, जिससे प्राधिकरण को राजस्व प्राप्त होता है। इससे शहर को हरा भरा रखने में भी सहूलियत मिलती है। यह व्यवस्था नोएडा प्राधिकरण में भी लागू हो सकती है। इसके संकेत रविवार को फोनरवा संरक्षक त्रिलोक शर्मा को प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने दे दिए है।

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शहर में प्राधिकरण की ओर से अपनी जमीन पर अवैध रूप से संचालित हो रही नर्सरी को हटाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 150 नर्सरी को सूचीबद्ध किया गया है। प्राधिकरण की इस कार्रवाई की सराहना कर रविवार को फोनरवा संरक्षक त्रिलोक शर्मा ने वाट्सएप के जरिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी समेत मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा।

पत्र में लिखा कि नोएडा क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान सराहनीय कदम है लेकिन मेरा अनुरोध है कि हाइटेंशन लाइनों के नीचे कब्जा की भूमि को खाली कराकर जैसे ग्रेटर नोएडा में नर्सरी को दी जाती है उसी तरह से नोएडा प्राधिकरण भी नर्सरी के लिए लीज पर जगह दे सकता है। इसके अलावा कुछ ग्रीन बेल्ट को चिह्नित करके भी इसका इस्तेमाल हो सकता है। इससे कृषि उत्पाद बीज व उद्यान (नर्सरी) की योजना लाकर गांवों के इच्छुक लोगो को शर्तों पर लीज के जरिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते है। इससे अवैध निर्माण पर नियंत्रण लगेगा। अवैध निर्माण पर लगे अंकुश

नोएडा से ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन स्थित गौड़ चौक की तरफ हरनंदी पुल से पहले दोनों तरफ अवैध निर्माण तेजी से चल रहा है। इस बात का जिक्र भी पत्र में किया गया है। इसमें पूरे डूब क्षेत्र में हजारों मकानों का निर्माण लगातार जारी है। इसे कोई भी देखने वाला नहीं है। इसको रोकने के लिए नोएडा प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश सिचाई विभाग, जिला प्रशासन से संयुक्त रूप से कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।


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