फैक्टर फंडा : बिजली निगम की छूट पर भारी चुनावी वादे
अजय चौहान नोएडा विधानसभा चुनाव में बिजली बिल बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्षी पार्टियों के दावों और सरकार की घोषणाओं से यह साफ भी चुका हैं लेकिन इसकी एक बड़ी बानगी विद्युत निगम की एकमुश्त समाधान योजना की स्थिति भी बयां कर रही है। यह योजना हर साल निगम के वसूली अभियान में अलाद्दीन के चिराग की तरह चमत्कारी साबित हो रही है लेकिन चुनावी सीजन में उपभोक्ताओं के मिजाज ने निगम की परेशानी बढ़ा दी है।
अजय चौहान, नोएडा : विधानसभा चुनाव में बिजली बिल बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्षी पार्टियों के दावों और सरकार की घोषणाओं से यह साफ भी चुका हैं, लेकिन इसकी एक बड़ी बानगी विद्युत निगम की एकमुश्त समाधान योजना की स्थिति भी बयां कर रही है। यह योजना हर साल निगम के वसूली अभियान में अलाद्दीन के चिराग की तरह चमत्कारी साबित हो रही है, लेकिन चुनावी सीजन में उपभोक्ताओं के मिजाज ने निगम की परेशानी बढ़ा दी है।
ब्याज की राशि पर 50 से 100 फीसद छूट के बावजूद पिछली वर्षों की तुलना में बहुत कम उपभोक्ताओं ने रुचि दिखाई है। जबकि पिछली बार केवल घरेलू और नलकूप उपभोक्ताओं के लिए यह छूट थी और इस बार व्यावसायिक उपभोक्ताओं को भी शामिल किया गया, फिर भी बकाया भुगतान गति नहीं पकड़ पाया। नोएडा जोन में पिछली योजना में पहले एक माह में ही 70 करोड़ का बकाया भुगतान प्राप्त हुआ था, लेकिन इस बार ढ़ाई माह बाद भी सिर्फ 45 करोड़ का बकाया जमा हुआ है। पिछली बार 1.15 लाख बकाएदार ही छूट के दायरे में थे, जबकि इस बार 1.27 शामिल हैं। निगम के एक बड़े अभियंता ने बताया कि राजनीतिक दलों के वादों का ओटीएस योजना पर असर पड़ा है। बता दें कि समाजवादी पार्टी 200 यूनिट तक तो आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट तक बिजली फ्री करने की बात कह रही है। योगी सरकार ने भी आचार संहिता से दो दिन पहले किसानों के लिए बिल की दरें 50 फीसद कम कर दी है। साफ है कि सत्ता के सफर में बिजली बिल का भी एक अहम पड़ाव रहने वाला है। एनसीआर में मल्टीप्वाइंट कनेक्शन योजना की जटिलता बिजली को बड़ा मुद्दा बना रही है।