हवा में फैला जहर, आंखों पर ढा रहा कहर
प्रदूषण जहां लोगों के फेंफड़ों को खराब कर जानलेवा साबित हो सकता है वहीं ये लोगों की रंगीन दुनिया को भी बेरंग कर सकता है।
आशीष धामा, नोएडा : प्रदूषण जहां लोगों के फेंफड़ों को खराब कर जानलेवा साबित हो सकता है, वहीं ये लोगों की रंगीन दुनिया को भी बेरंग कर सकता है। स्माग के साथ हवा में फैल रही कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन व सल्फर डाई आक्साइड गैस लोगों को अंधा भी बना सकती हैं। लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक होती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण सांस व हृदय रोगों को बढ़ाने के साथ ही अंधेपन का खतरा भी बढ़ा रहा है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि वायु प्रदूषण से आंखों में एलर्जी व सूखापन दो तरह की परेशानियां आम हैं। आंखों की ऊपरी सतह पर आंसुओं की परत होती है। वायु प्रदूषण से ये परत टूट जाती है और पानी निकलना शुरू हो जाता है। इससे आंखें लाल हो जाती है और सूखापन, लाली, सेंसेटिविटी आदि की परेशानी होने लगती है। वहीं जब भी हमारी आंखों में कुछ चला जाता है या हल्की खुजली होती है, तो हम अपनी आंखें मलने लगते हैं। हाथ गंदे होने से इंफेक्शन का खतरा रहता है। आंखों की पुतली पर सफेद निशान आ जाते हैं। इससे आंखों में धुंधलापन छा जाता है। इस बीमारी को आक्युलर सरफेस डिसआर्डर कहते हैं। यदि समय पर इलाज न हो, तो इससे इंसान अंधा भी हो सकता है। प्रदूषण के मुख्य कारक
शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारक यातायात, औद्योगिक इकाइयां व निर्माण परियोजनाएं है। इकाइयों से निकलने वाला कार्बन उत्सर्जन, कूड़ा, पराली का धुंआ, निर्माण स्थलों और सड़कों से उड़ने वाली धूल हवा में घुलकर तीन तरह की गैस बनाती है। इनमें कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन व सल्फर डाई आक्साइड शामिल है। यह तीनों गैस इंसान को अंधा बनाने के लिए काफी है। वायु प्रदूषण में आंखों के ऐसे बचाएं
-घर से बाहर निकलते समय चश्मे लगाएं
-आंखें साफ करने के लिए गुलाब जल की ड्राप डालें
-आंखों को ठंडे पानी से धोए और बर्फ से सिकाई करें
-परेशानी बढ़ने पर चिकित्सक की सलाह लें जिले के विभिन्न क्षेत्रों का एक्यूआइ क्षेत्र एक्यूआइ श्रेणी
सेक्टर-62 412 गंभीर
सेक्टर-1 388 बेहद खराब
सेक्टर-116 358 बेहद खराब
नॉलेज पार्क-3 346 बेहद खराब
नॉलेज पार्क-4 419 गंभीर वर्जन..
वायु प्रदूषण में अनदेखी आंखों के लिए खतरा बन सकती है। ऐसे समय में लोग विशेष सावधानी बरतें। ऐसा न होने पर ये लापरवाही अंधापन बढ़ा सकती है।
-डॉ.मोहिता शर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं महासचिव इंडियन मेडिकल एसोसिएशन