राजनीतिक दल रूचि लेते तो इस समय जेवर से उड़ रहे होते जहाज
धर्मेंद्र चंदेल नोएडा आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदे के लिए इस समय प्रदेश में महत्
धर्मेंद्र चंदेल, नोएडा :
आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदे के लिए इस समय प्रदेश में महत्वकांक्षी परियोजनाओं के निर्माण का श्रेय लेने की होड़ मची है। राजनीतिक दल आगे बढ़कर दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी के शासन काल में प्रोजेक्ट की शुरूआत हुई थी, लेकिन जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मामले में उल्टा है। यह एयरपोर्ट राजनीति दलों की बेरुखी के कारण 17 वर्ष तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। पूर्व की सरकारों ने इसके निर्माण में कोई रूचि नहीं दिखाई। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती इसके लिए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा रही है। उनका कहना है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने जेवर में एयरपोर्ट बनाने के प्रस्ताव पर सहयोग नहीं किया। विपक्षी राजनीतिक दल अब कुछ भी दावा करें, लेकिन हकीकत यही है कि यदि तत्कालीन सरकारें अनदेखी न करतीं तो इस समय जेवर से हवाई जहाज उड़ान भर रहे होते। बृहस्पतिवार को जेवर में एयरपोर्ट के शिलान्यास मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बात के लिए बिना किसी का नाम लिए पूर्व की सरकारों पर जमकर कटाक्ष किया। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि मोदी-योगी चाहते तो 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद आकर यहां पत्थर लगाकर चले जाते, लेकिन भाजपा सरकार पत्थर लगाने में नहीं परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में विश्वास रखती है। दरअसल, जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण की रूपरेखा 2004 में बनी थी। उस समय प्रदेश में बसपा की सरकार थी। तब एयरपोर्ट की घोषणा के बाद तमाम लोगों ने जेवर में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद ली थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की योजना सिर्फ घोषणा बनकर रह गई। भले ही वह इसके लिए कांग्रेस की केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रही हैं, लेकिन उनके दो बार के शासन काल में यह योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी। उनके बाद प्रदेश में 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार रही। उनके शासन काल में भी एयरपोर्ट के प्रस्ताव पर कोई काम नहीं हुआ। 2007 में प्रदेश में फिर से बसपा की सरकार बनी और मायावती सत्ता पर आसीन हुईं। इस दौरान भी एयरपोर्ट के निर्माण के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। यही नहीं निवेशकों को जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण का सब्जबाग दिखाकर प्रदेश सरकार पांच साल तक ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण की जमीन बेचती रही। तमाम लोगों ने एयरपोर्ट के सब्जबाग में आकर प्राधिकरणों से महंगी दरों पर जमीन भी खरीद ली। एयरपोर्ट का प्रस्ताव केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के पास भी लंबित रहा, लेकिन कांग्रेस सरकार ने भी जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण में तनिक भी रूचि नहीं दिखाई। प्रस्ताव रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। उत्तर प्रदेश में 2012 में फिर से सपा की सरकार बनी। अखिलेश यादव सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार को पत्र भेजकर जेवर में एयरपोर्ट के प्रस्ताव को रद करने का अनुरोध भी किया। सपा सरकार का मन फिरोजाबाद में एयरपोर्ट बनाने का था। हालांकि, 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनने और गौतमबुद्ध नगर के सांसद डाक्टर महेश शर्मा को उड्डयन मंत्रालय के मंत्री बनने से फिर से एयरपोर्ट के निर्माण की उम्मीद जगी। उस समय महेश शर्मा ने व्यक्तिगत प्रयास कर एयरपोर्ट के प्रस्ताव को फिर से जीवित किया। 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आई। पिछले चार वर्षों में एयरपोर्ट के निर्माण की औपचारिकताओं को पूरा कर आखिरकार अब जेवर में एयरपोर्ट को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो गया है।