बाजार दर से कम पर जमीन बेचने की सीबीआइ जांच की मांग
जागरण संवाददाता नोएडा नोएडा प्राधिकरण की बेशकीमती जमीन को अधिकारियों द्वारा कौड़ियों के भाव बिल्डरों व पूंजीपतियों को बेचे जाने की सीबीआई जांच कराने की मांग उठने लगी है। शहरवासियों का आरोप है कि अधिकारियों ने बिल्डर व पूंजीपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्राधिकरण की जमीन को बाजार दर अथवा डीएम सर्किल रेट से कम पर बेचकर हानि पहुंचाई है। अधिकारियों का असली काम प्राधिकरण के राजस्व में बढ़ोतरी कर लाभ पहुंचाना था लेकिन हुआ इसके उल्टा।
जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा प्राधिकरण की बेशकीमती जमीन को अधिकारियों द्वारा कौड़ियों के भाव बिल्डरों व पूंजीपतियों को बेचे जाने की सीबीआई जांच कराने की मांग उठने लगी है। शहरवासियों का आरोप है कि अधिकारियों ने बिल्डर व पूंजीपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्राधिकरण की जमीन को बाजार दर अथवा डीएम सर्किल रेट से कम पर बेचकर हानि पहुंचाई है। अधिकारियों का असली काम प्राधिकरण के राजस्व में बढ़ोतरी कर लाभ पहुंचाना था, लेकिन हुआ इसके उल्टा। सस्ती दरों पर जमीन लुटा दी गई। ऊंचे दामों पर जमीन को बेचा जाता तो प्राधिकरण को अरबों रुपयों का राजस्व मिलता। इससे शहर का विकास होता। शहरवासियों का कहना है कि 2005 से अब तक जितनी भी जमीन आवंटित हुई है, उसकी जांच कराकर सस्ती दरों पर जमीन लुटाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 2005 के बाद शहर में बिल्डरों को बड़े पैमाने पर जमीन आवंटित की गई। 2005 से 2012 के बीच सर्वाधिक जमीन का आवंटन हुआ। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें बिल्डरों को आवंटित जमीन की कीमत बाजार दर अथवा डीएम सर्किल रेट से कम पर की गई। फार्म हाउस बनाकर बेचने के लिए प्राधिकरण ने किसानों से महंगी दर पर जमीन खरीदी। अधिग्रहण कीमत, नाले, नाली, सड़क व सीवर लाइन आदि के निर्माण पर खर्च होने के बाद प्राधिकरण को करीब साढ़े नौ हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर जमीन मिली। नियमानुसार प्राधिकरण को इससे अधिक दर पर जमीन को बेचना था। उस समय प्राधिकरण के औद्योगिक भूखंडों की दर 20 हजार व अन्य संस्थागत, आवासीय व कामर्शियल आदि श्रेणी के भूखंडों की दर 14 हजार से एक लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर थी, लेकिन प्राधिकरण ने फार्म हाउस के लिए मात्र 3100 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर जमीन बेचकर प्राधिकरण को भारी नुकसान पहुंचाया। अकेले फार्म हाउस से प्राधिकरण को करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई। नोएडा एक्सप्रेस वे सटे कई सेक्टरों में डीएम सर्किल रेट व बाजार का जो मूल्य था, अधिकारियों ने उससे आधे पर ही बिल्डरों को जमीन बेचकर प्राधिकरण को हानि पहुंचाई। लोगों का कहना है कि ऐसे अधिकारियों का नाम उजागर होना चाहिए। उन पर कार्रवाई हो, ताकि दूसरे अधिकारी गलत कार्य करने से बचे।
सस्ती दर पर भूखंड आवंटन की सीबीआइ जांच होनी चाहिए, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई कर सरकार को नजीर पेश की जानी चाहिए, जिससे अन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।
-विपिन कुमार मल्हन, अध्यक्ष, नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन। --------------- नोएडा प्राधिकरण को औद्योगिक विस्तार देने के लिए उद्यमियों का सहयोग करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने किसानों से सस्ती दरों पर जमीन का अधिग्रहण किया और बिल्डरों को थमा दिया। जमीन और पैसा दोनों चला गया।
-सुधीर श्रीवास्तव, उद्यमी। ------------
अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो प्राधिकरण को लाभ पहुंचाए, लेकिन नोएडा में उल्टा हुआ। अधिकारियों ने डीएम सर्किल रेट से भी कम पर जमीन बेचकर बिल्डर और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया। इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए।
-अजय मल्होत्रा, अध्यक्ष, उद्योग मंच। सीबीआइ जांच करवाकर भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। भ्रष्टाचार के जरिये अर्जित की गई संपत्ति को नीलाम कर राजस्व नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। भ्रष्टाचारियों पर तभी अंकुश लग सकेगा।
-सुनील गुप्ता, प्रदेश उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल।