भू-उपयोग परिवर्तन के मामले में 21 अधिकारियों से शासन ने मांगा जवाब
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में उद्योग की जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन कर आवासीय करने वाले 21 अधिकारियों पर प्रदेश सरकार शिकंजा कस किया गया है। अधिकारी प्रबंधक से लेकर महाप्रबंधक स्तर के हैं। एसीईओ की जांच रिपोर्ट में इन अधिकारियों को भू-उपयोग परिवर्तन करने का दोषी माना गया था। शासन ने कार्रवाई करने से पहले संबंधित अधिकारियों से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। यदि सरकार इन पर कार्रवाई करती है तो प्राधिकरण में अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई होगी। महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व देख रहे
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा :
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में उद्योग की जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन कर आवासीय करने वाले 21 अधिकारियों पर प्रदेश सरकार ने शिकंजा कसा है। एसीईओ की जांच रिपोर्ट में इन अधिकारियों को दोषी माना गया था। एक सप्ताह के अंदर सभी से जवाब मांगा गया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मास्टर प्लान 2021 में ग्रेटर नोएडा वेस्ट की जमीन उद्योगों के लिए आरक्षित थी। बसपा शासनकाल में एनसीआर प्लानिग बोर्ड की मंजूरी के बिना जमीन का भू-उपयोग बदलकर आवासीय कर दिया गया। बताया जाता है कि यह सारा खेल तत्कालीन बसपा सरकार के इशारे पर हुआ था। 2012 में प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, रातों-रात भू-उपयोग परिवर्तन प्राधिकरण ने जमीन को बिल्डरों को बेच दिया। बिल्डरों ने लाखों फ्लैटों की बुकिग कर ली। हालांकि, मामले का पर्दाफाश होने के बाद फ्लैट खरीदारों ने एनसीआर प्लानिग बोर्ड कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर इसे मंजूरी दिला दी, लेकिन 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मामले की जांच शुरू हुई। गजराज आदि ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर की। कोर्ट ने भी जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सरकार ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ से मामले की जांच कराई। एसीईओ ने प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक, उप महाप्रबंधक व महाप्रबंधक स्तर के 21 अधिकारियों को दोषी मानते हुए जून में शासन को रिपोर्ट भेजी थी। शासन के उप सचिव अनिल कुमार ने संबंधित प्रबंधक व महाप्रबंधकों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। माना जा रहा है कि जवाब मिलने के बाद सरकार सभी पर कड़ी कार्रवाई कर सकती है। भू-उपयोग परिवर्तित करने से नहीं लगे उद्योग : ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ढाई हजार हेक्टेयर जमीन उद्योगों के लिए आरक्षित थी। नोएडा व गाजियाबाद से सटे इस क्षेत्र में उद्योग लगते तो लाखों लोगों को रोजगार मिलता। प्राधिकरण ने भू-उपयोग बदलकर बिल्डरों को जमीन बेच दी। इससे उद्योग नहीं लग सके। जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को रोजगार न मिलने के रूप में भुगतना पड़ा।