Move to Jagran APP

शोषितों की लड़ी लड़ाई, सैकड़ों जिदगी मुस्कुराई

मनीष तिवारी ग्रेटर नोएडा नियमों के बावजूद सक्षम व्यक्ति कमजोर का शोषण करने पर अमाद

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:07 AM (IST)
शोषितों की लड़ी लड़ाई, सैकड़ों जिदगी मुस्कुराई
शोषितों की लड़ी लड़ाई, सैकड़ों जिदगी मुस्कुराई

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा :

loksabha election banner

नियमों के बावजूद सक्षम व्यक्ति कमजोर का शोषण करने पर अमादा है। जिदगी की भागदौड़ में बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जो शोषण के विरुद्ध आवाज नहीं उठा पाते। मनीष कुमार ऐसा नाम है, जिन्होंने न सिर्फ अपनी लड़ाई लड़ी, बल्कि तमाम शोषित लोगों की आवाज भी बने। मुहिम में आए दिन विभिन्न परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन कदम पीछे नहीं हटे। उन्हें व्यक्तिगत मामले में सफलता भले ही न मिली हो, लेकिन तमाम ऐसे लोग हैं जिनका आशियाने का सपना पूरा हो गया।

हर व्यक्ति जीवन में एक छोटे से आशियाने का सपना देखता है। जिसे पूरा करने के लिए रात दिन मेहनत करता है। छोटी-छोटी राशि जमा कर फ्लैट या मकान लेता है। फ्लैट बेचते वक्त बिल्डरों के द्वारा उसे तमाम सपने दिखाए जाते हैं। बहुत से बिल्डर ऐसे हैं जो आम व्यक्ति के सपनों को तोड़ने पर अमादा रहते हैं। एक निजी कंपनी में काम करने वाले मनीष कुमार ने भी वर्ष 2010 में आशियाने का सपना देखा। बिल्डर के द्वारा दो वर्ष में फ्लैट पर कब्जा देने का दंभ भरा गया, जो कि पूरा नहीं हुआ। बिल्डर ने तमाम परेशानियां बताकर काम ही शुरू नहीं किया। मनीष ने कुछ माह तक इंतजार किया। लेकिन सपना पूरा होने की उम्मीद जब धूमिल होने लगी तो उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोशल मीडिया को हथियार बनाया। इस प्रकार के मामलों के पीड़ित लोग उनके साथ जुड़ने लगे। बाद में वह नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट बायर्स वेलफेयर एसोसिएशन (नेफोवा) के साथ जुड़ गए। मनीष बताते हैं पिछले कई वर्षों से लड़ाई जारी है। एनसीआर क्षेत्र के लगभग पांच हजार लोग संगठन से जुड़ चुके हैं। सभी के मामले लगभग एक से होते हैं। मामलों को प्रमुखता से उठाते हुए प्राधिकरण व न्यायालय में लड़ाई लड़ी जा रही है। लड़ाई के सुखद परिणाम भी सामने आए हैं। सैकड़ों लोग को न्याय मिल चुका है। नहीं डिगे कदम

लड़ाई में तमाम व्यवधान भी आए, लेकिन कदम नहीं डिगे। मनीष बताते हैं कार्यालय से आने के बाद शाम को व अवकाश के दिनों में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए समय निकालते हैं। वह बताते हैं लड़ाई में पत्नी रश्मी की हर पल मदद मिली। घर के सभी जरूरी काम को वह कर लेती थीं। इस कारण शोषण के विरुद्ध लड़ाई में काफी समय मिला। मनीष का कहना है जिनके खिलाफ आवाज बुलंद की गई। उन्होंने आवाज को दबाने के लिए तमाम प्रयास किए। मजबूत इरादों के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। किये जाने वाले प्रयासों से जब किसी का सपना पूरा होता है, उसे जीत मिलती है तो मेरे दिल को सुकून व इरादों को बल मिलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.