लग्जरी गाड़ियां चुराकर बांग्लादेश में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा दिल्ली एनसीआर व उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से चार पहिया व
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : दिल्ली एनसीआर व उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से चार पहिया वाहन चुराकर बांग्लादेश में बेचने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। चार चोरों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से स्कार्पियो, ब्रेजा, क्रेटा समेत कुल 11 लग्जरी गाड़ियां बरामद हुई हैं। चार पहिया गाड़ियों की बरामदगी में गौतमबुद्ध नगर की अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। चोर महज पांच मिनट के अंदर गाड़ी का सेंसर ब्रेक कर स्कैनर टैब की मदद से नई चाबी तैयार कर वाहन चोरी कर लेते थे। राजस्थान, मध्य प्रदेश में फर्जी कागज तैयार किए जाते थे। गिरोह का सरगना व कम्प्यूटर साफ्टवेयर एक्सपर्ट अर्सिल अभी फरार है।
डीसीपी ग्रेटर नोएडा राजेश कुमार सिंह व एडिशनल डीसीपी विशाल पांडेय ने बताया कि स्कार्पियो समेत लग्जरी गाड़ियां चुराने वाले गिरोह के संबंध में पुलिस को सूचना मिली। सूचना के आधार पर बीटा दो कोतवाली प्रभारी सुजीत उपाध्याय ने बल्ला की मढैया गांव के समीप वाहनों की जांच के दौरान स्कार्पियो सवार चार संदिग्ध लोगों को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि सभी वाहन चोर हैं। इनकी पहचान इस्माइल व वाहिद निवासी गाजियाबाद, फिरोज निवासी मध्य प्रदेश व दिनेश चंद्र सुतार निवासी राजस्थान के रूप में हुई। इस्माइल व वाहिद चोरी की गाड़ी को फिरोज व दिनेश को बेचने के लिए ग्रेटर नोएडा आए थे। चोरों ने साइट पांच स्थित एक फैक्ट्री में ठिकाना बनाया हुआ था। उनकी निशानदेही पर बंद फैक्ट्री से दस अन्य चोरी की गाड़ियां बरामद हुई हैं। इसमें दो लखनऊ, एक दिल्ली, एक गाजियाबाद, एक गौतमबुद्ध नगर से चोरी की गई थी। पिछले तीन सालों से चोर इस धंधे में लिप्त थे। पूर्व में भी मेरठ में चोरी के वाहन के साथ पकड़े गए थे। दिसंबर में ही आरोपित जमानत पर बाहर आए थे।
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राजस्थान से भेजते थे बांग्लादेश
एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि अलग-अलग जगह से वाहन चुराने के बाद उनको राजस्थान व मध्य प्रदेश ले जाया जाता था। वहां गाड़ियों के फर्जी कागज, इंजन नंबर व चेचिस नंबर तैयार किए जाते थे। उसके बाद चोरी की गाड़ियों को पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाता था।
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चुनाव में प्रयोग की आशंका
आशंका व्यक्त की गई है कि लग्जरी गाड़ियों का प्रयोग पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव में भी किया जाना था। चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद गाड़ियों को आगे के लिए रवाना किया जाना था।
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इतने में बेचते थे चोरी की गाड़ियां
स्कार्पियो : तीन लाख बीस हजार
क्रेटा : दो लाख पचास हजार
ब्रेजा : दो लाख
सेंट्रो : डेढ़ लाख
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ऐसे करते थे चोरी
पहले चोर लैपटाप की मदद से गाड़ी का सेंसर ब्रेक करते थे। स्कैनर टैब टूल के माध्यम से चोर गाड़ी के हैंडल के नीचे लगे ईसीएम (इंजन कंट्रोल मशीन) को स्कैन कर दूसरी चाबी तैयार कर लेते थे। दूसरी चाबी की मदद से इंजन स्टार्ट करने के बाद एक गेट का शीशा तोड़ देते थे और गेट लाक खोल कर स्टार्ट गाड़ी की ड्राइविग सीट पर बैठ कर वाहन चुरा ले जाते थे।
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इनकी यह रहती थी भूमिका
सरगना अर्सिल (फरार, तकनीकी शिक्षा प्राप्त) : कम्प्यूटर एक्सपर्ट वाहन का लाक खोलता था
इस्माइल : गाड़ी के अंदर बैठ कर चोरी का वाहन ले जाता था
वाहिद : चोरी के वाहन की निगरानी करता था
फिरोज व दिनेश : चोरी के वाहन को बिकवाने में बिचौलिये की भूमिका निभाते थे।