बिजली निगम में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ उद्यमियों ने खोला मोर्चा
जागरण संवाददाता नोएडा शहर में तीन हजार मेगावाट बिजली की डिमांड है। इसमें से 1800
जागरण संवाददाता, नोएडा :
शहर में तीन हजार मेगावाट बिजली की डिमांड है। इसमें से 1800 मेगावाट बिजली की डिमांड वाणिज्यिक व औद्योगिक है। 75 दिनों के लॉकडाउन में औद्योगिक व वाणिज्यिक इकाइयां बंद रही, उत्पादन नहीं हुआ। फिक्स चार्ज के बाद भी उद्यमियों को तीन से चार गुना ज्यादा राशि का बिल भेजे जा रहे हैं। गलती ठीक करने की बजाए बिलों को अगले माह एडजस्ट करने की बात कही जा रही है। इसने उद्यमियों की परेशानी बढ़ा दी है। इस समस्या को लेकर उद्यमियों ने मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया है। साथ ही विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों की विजिलेंस जांच कराने की मांग की है।
शहर में फेज-1, 2, 3, ग्रेटर नोएडा में 20 हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां है। जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी औद्योगिक इकाइयां लॉकडाउन के दौरान बंद रही। इन औद्योगिक इकाइयों से फिक्स चार्ज 300 रुपये प्रति किलोवाट लिया जाता है। उद्योग बंद होने के बाद भी बिल लाखों रुपये भेजा जा रहा है। एक उद्यमी को 2 लाख रुपये का बिल थमाया गया, जिसको संशोधन के बाद 4200 रुपये किया गया। यह सिर्फ एक या दो उद्यमी के साथ नहीं बल्कि हजारों की संख्या में उद्यमियों को गलत बिल भेजे जा रहे हैं।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने बताया कि गलत बिल भेजना तकनीकी खामी नहीं, बल्कि बिजली विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की सांठगांठ है। ऐसी सैकड़ों शिकायतें मिल रही है जिसमें उद्यमियों को बिल ठीक कराने के नाम पर आर्थिक हानि पहुंचाई गई। ऐसे में एक साल के बिलों की जांच विजिलेंस विभाग से निष्पक्षता पूर्ण कराई जाए। इसके लिए पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई जाए। उन्होंने बताया कि हाल ही में हुई जिला उद्योग बंधु की बैठक में भी इसे प्रमुखता से उठाया गया था लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। यदि ऐसे उद्यमी को परेशान किया गया तो भविष्य में उद्यमियों को यहां से पलायन करना होगा। ऐसे में विजिलेंस से लेकर प्रदेश सरकार तक को लिखित पत्र के जरिए भ्रष्टाचार के खेल की जांच कराने का आग्रह किया गया है।