सफलता की डगर : काम की ललक ने बनाया कारोबारी
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : बुलंदशहर के झाझर के रहने वाले उद्यमी रवि शंकर शर्मा ने अपनी इच्छा के मु
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : बुलंदशहर के झाझर के रहने वाले उद्यमी रवि शंकर शर्मा ने अपनी इच्छा के मुताबिक अपनी राह खुद तय की। वह गांव के लोगों के लिए मिसाल व मार्गदर्शक बनें। रवि शंकर के पिता स्व. मुरारीलाल शर्मा तुगलपुर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। उन्होंने अपने सानिध्य में बेटे को उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मां रामकली देवी ने बड़े प्यार से बचपन को संभाला व शीला शर्मा ने आगे बढ़ने के लिए हौसला बढ़ाया। खुद का कारोबार शुरू कर लोगों को रोजगार देने की ललक ने खेती में दिल नहीं लगने दिया। लिहाजा उन्होंने सिविल इंजीनिय¨रग की पढ़ाई पूरी करने के बाद करीब एक साल तक गाजियाबाद में नौकरी की। इसी दौरान पत्नी ललिता शर्मा के साथ खुद भी एमए की पढ़ाई पूरी कर ली। परिवार के सहयोग से कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में किस्मत आजमाया। यह काम चल निकला। कुछ दिनों बाद बढ़ते प्रदूषण स्तर को लेकर मन विचलित हो गया व काम बदल दिया। उन्होंने वर्ष 2015 में यूपीएसआइडीसी के औद्योगिक क्षेत्र साइट पांच में 450 मीटर का प्लाट लेकर प्लास्टिक के विकल्प के रूप में नॉन वोवन बैग बनाना शुरू किया। यह काम चल निकला। दो साल में ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा समेत एनसीआर में उनके उत्पाद की मांग काफी बढ़ गई। इसी दौरान जिला प्रशासन द्वारा पालीथिन बैग के उपयोग को प्रतिबंधित करने के प्रयास से काफी फायदा मिला। उत्पादन के अनुपात में खपत की डिमांड बढ़ गई। प्रशासन की पहल के बाद जागरूक दुकानदार व खरीदार इस थैले का ही उपयोग करने लगे हैं। यह पूरी तरह से इकोफ्रैंडली है। काम के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वर्तमान में रोटरी क्लब से भी जुड़े हुए हैं। बड़ा बेटा वैभव कौशिक बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। इसके अलावा बेटी दीप्ति कौशिक, छोटा बेटा विदित कौशिक व भांजी भूमि शर्मा की जिम्मेदारी पत्नी ललिता शर्मा ने अच्छी तरह से निभाया। गांव झाझर में भी रवि शंकर शर्मा को लोग मिसाल के तौर पर देखते हैं। उन्होंने मां व पिता के दिखाए रास्ते व आदर्शों पर चल कर समाज में एक सफल उद्यमी की पहचान बनाई।