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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के रवैये से हताश व्यक्ति ने मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा एक व्यक्ति बीस वर्षो से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से न्याय की लड़

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 08:51 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 06:12 AM (IST)
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के रवैये से हताश व्यक्ति ने मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के रवैये से हताश व्यक्ति ने मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: एक व्यक्ति बीस वर्षो से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। प्राधिकरण ने दो दशक पहले उन्हें औद्योगिक भूखंड आवंटित करने का जो वादा किया था, वह आज तक पूरा नहीं हुआ है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल सका है। हताश होकर उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को पत्र लिखकर परिवार समेत इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

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दिल्ली की स्वामी दयानंद कालोनी निवासी महेश का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2000 में औद्योगिक भूखंड योजना का विज्ञापन निकाला था। उन्होंने प्राधिकरण अधिकारियों से ग्रेटर नोएडा में ऑटो मोबाइल वर्कशॉप स्थापित करने की इच्छा जताई। अधिकारियों ने उनसे 750 रुपये वर्गमीटर की दर से औद्योगिक भूखंड आवंटित करने के लिए ड्राफ्ट व दस्तावेज जमा कराए और जल्द भूखंड आवंटन का भरोसा दिया।

उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया लेकिन कोई कारण बताए बगैर भूखंड आवंटन से मना कर दिया गया। कई बार पत्र लिखने के बाद प्राधिकरण ने उन्हें पत्र भेजकर ढाई एकड़ भूखंड के लिए सहमति देने को कहा। लेकिन महेश ने प्राधिकरण को कानूनी नोटिस भेज दिया। जवाब में उन्हें बताया गया कि वर्कशॉप के लिए कम से कम ढाई एकड़ भूखंड ही मान्य है। जब उन्होंने बड़े भूखंड के लिए अतिरिक्त धनराशि के बारे में जानकारी मांगी तो उन्हें नहीं दी गई।

प्राधिकरण अधिकारियों के रवैये से हताश होकर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। पीड़ित के हक में फैसला आया। प्राधिकरण ने इसके खिलाफ राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की, उसका फैसला प्राधिकरण के हक में गया। पीड़ित ने इसके खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील की। आयोग ने 2014 में पीड़ित के पक्ष में फैसला देते हुए पूर्व नियम एवं शर्तो के तहत भूखंड आवंटन करने का प्राधिकरण को आदेश दिया। महेश का कहना है कि आयोग के आदेश के बावजूद कई बार पत्र लिखने पर प्राधिकरण ने उन्हें 9810 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रोविजनल आवंटन पत्र जारी किया।

पीड़ित का कहना है कि यह राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का उल्लंघन है।


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