दो दशक से हॉस्पिटैलिटी उद्योग को गुलजार कर रही दिल्ली
दिल्ली वाले खाने-पीने के शौकीन है। इसी शौक के कारण दिल्ली व इसके आसपास के शहरों में खाने-पीने के कारोबार के साथ हॉस्पिटैलिटी उद्योग ने तेजी पांव पसारना शुरू किया है। हॉस्पिटैलिटी उद्योग से करीब दो दशक से जुड़े वनीत कुमार ने इस उद्योग के उतार चढ़ाव को साझा करते हुए बताया कि उनके पिता ने 19
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : दिल्ली वाले खाने-पीने के शौकीन हैं। इसी शौक के कारण दिल्ली व इसके आसपास के शहरों में खाने-पीने के कारोबार के साथ हॉस्पिटैलिटी उद्योग ने तेजी पांव पसारना शुरू किया है। हॉस्पिटैलिटी उद्योग से करीब दो दशक से जुड़े वनीत कुमार ने इस उद्योग के उतार चढ़ाव को साझा करते हुए बताया कि उनके पिता ने 1981 के करीब मैक्री नाम से होटल को सजाने वाले उत्पादों को बनाने का काम शुरू किया था। उस समय एशियन गेम्स की तैयारी चल रही थी। इन दिनों वनीत के पिता वीके कोचर ने आइटीडीसी के लिए काम किया था। यहां अच्छा मुनाफा हुआ। पिता ने इसी काम को आगे बढ़ाना शुरू किया। इनके बाद वनीत खुद होटल उद्योग के लिए तरह-तरह के डिजाइन तैयार कर रहे हैं। इनके डिजाइन व उत्पाद बाजार में काफी पसंद किए जा रहे हैं। वनीत ने कहा कि वर्तमान समय में लकड़ी, आयरन, तांबा व पीतल के मिश्रित उत्पादों की मांग बढ़ी है। तांबा व आयरन के उत्पाद का सबसे बड़ा खरीदार यूएस व हांगकांग है। विदेश में हिन्दुस्तानी बर्तन की भी मांग बढ़ी है। फैशन का कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। बाक्स
एक्सपो में बिखेरी शहर की कलाकारी
हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में शहर के उद्यमी ने भी अपनी कलाकारी को प्रदर्शित किया। औद्योगिक क्षेत्र साइट चार स्थित ड्रीम, डिजाइन एंड डिस्पले नाम इकाई ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया। इकाई के निदेशक पुलकित गुप्ता ने बताया कि उनके पिता पंकज गुप्ता विदेश में स्टूडियो बनाने का काम करते थे। उन्हें अपने देश में काम करने की इच्छा थी। वह कुछ साल बाद वतन लौट आए। इसके बाद ग्रेटर नोएडा में अपनी इकाई स्थापित की। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने स्टूडियो के बजाए हॉस्पिटैलिटी के लिए स्टैच्यू व सजावट के सामान बनाना शुरू किया। यह काम चल निकला। उन्होंने हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में अपने इस सपने को प्रदर्शित किया। इसे खरीदारों ने काफी सराहा।