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'वामपंथ विचारधारा का भारतीय संस्कृति से नहीं संबंध'

वामपंथियों का काला सच विषय पर चार दिवसीय विचार श्रृंखला शुरू की गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 10:00 PM (IST)
'वामपंथ विचारधारा का भारतीय संस्कृति से नहीं संबंध'

जासं, नोएडा : प्रेरणा मीडिया की ओर से बृहस्पतिवार को वामपंथियों का काला सच विषय पर चार दिवसीय विचार श्रृंखला शुरू की गई है। उद्घाटन सत्र पर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता संदीप महापात्रा ने विचार रखे। संदीप जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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महापात्रा ने कहा कि इस विचारधारा का भारत की मिट्टी से कोई संबंध नहीं है। 1920 में बनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने अस्तित्व में आने के साथ ही राष्ट्र विरोधी गतिविधियां आरंभ कर दीं और जब महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर संभाली, तो 1921 में उनका विरोध किया। वामपंथियों ने गांधी और कांग्रेस को पूंजीवादी बताया। वामपंथियों का भारत की संस्कृति और सभ्यता का कोई अध्ययन नहीं रहा। वे हमेशा विदेशों से आयातित विचारों पर ही काम करते रहे हैं। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने वामपंथ के बारे में कहा था कि यह एक ऐसी आग है जो अपने सामने आने वाले हर व्यक्ति और विचार को निगलना चाहती है। इसका भारत की मूल विचारधारा से कोई मेल नहीं। मुख्य अतिथि नरेंद्र भदौरिया ने कहा कि वामपंथी विचारधारा वास्तव में समस्या उत्पन्न करने का ही उपक्रम है। यह विचारधारा राष्ट्रीयता का विरोध करती है और राष्ट्रवाद से डरती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी उद्यमी अणंज कुमार त्यागी ने की। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गीता भट्ट और शनिवार को डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह नेगी संबोधित करेंगे।


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