बिना पंजीकरण बिल्डर परियोजनाओं पर चलेगा रेरा का डंडा
उत्तर प्रदेश रेरा (उत्तर प्रदेश भू संपदा प्राधिकरण) में 400 से ज्यादा ऐसी खरीदारों की शिकायते आई है जिनके बिल्डरों ने अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण किसी सरकारी एजेंसी से अब तक नहीं कराया। इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है इस कारण खरीदारों को अब तक उनका हक नहीं मिल सका है। इन परियोजनाओं में खरीदार ने तब पैसा लगाया था जब रेरा का गठन नहीं हुआ था। ऐसे बिल्डरों के लिए रेरा ने एक पॅालिसी तैयार की है। इसके तहत इन पर सख्ती बरती जाएगी। ताकि वह अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण कराए। नोटिस जारी किया जा रहा है इसके बाद सार्वजनिक विज्ञापन और अंत में कानूनी कार्रवाई कर जुर्माना वसूल किया जाएगा।
कुंदन तिवारी, नोएडा : उत्तर प्रदेश रेरा (उत्तर प्रदेश भू संपदा प्राधिकरण) में 400 से ज्यादा ऐसी खरीदारों की शिकायतें आई हैं जिनके बिल्डरों ने अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण किसी सरकारी एजेंसी से अब तक नहीं कराया। इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है इस कारण खरीदारों को अब तक उनका हक नहीं मिल सका है। इन परियोजनाओं में खरीदार ने तब पैसा लगाया था जब रेरा का गठन नहीं हुआ था। ऐसे बिल्डरों के लिए रेरा ने एक पॉलिसी तैयार की है। इसके तहत इन पर सख्ती बरती जाएगी, ताकि वह अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण कराएं। नोटिस जारी किया जा रहा है, इसके बाद सार्वजनिक विज्ञापन और अंत में कानूनी कार्रवाई कर जुर्माना वसूला जाएगा।
गौतमबुद्ध नगर जिले में कई छोटे बिल्डर अभी भी बिना मंजूरी के गांव की जमीन पर फ्लैटों का निर्माण कर रहे हैं और अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। सस्ते फ्लैटों की तलाश करने वाले खरीदार ऐसी परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं। इन बिल्डरों पर शिकंजा कसा जाना बेहद जरूरी है। लिहाजा रेरा ऐसे बिल्डरों पर कुल परियोजना लागत का 10 प्रतिशत जुर्माना लगाने जा रहा है। हालांकि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के प्रावधान केवल 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक के क्षेत्र और किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा अनुमोदित क्षेत्रों में आठ अपार्टमेंट या अधिक के साथ रियल्टी परियोजनाओं पर लागू होते हैं। रेरा अधिनियम की धारा 3 नियामक संस्था को एक रियल्टी प्रोजेक्ट को पंजीकृत करने के लिए एक डेवलपर को निर्देशित करने का अधिकार देती है लेकिन परियोजना के भवन के नक्शे को एक सरकारी एजेंसी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। अगर इसे किसी सरकारी एजेंसी की ओर से अनुमोदित नहीं किया जाता है, तो इसे पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके लगातार खरीदार की शिकायतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। बिल्डरों को पर कसा जाएगा शिकंजा
यूपी रेरा ने बताया कि पॉलिसी के तहत उन बिल्डरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है जो बायर्स का पैसा लेकर बैठ गए है। अब तक न तो उन्होंने मकान बनाकर खरीदार को दिया और न ही पैसा वापस कर रहे है। इसमे ऐसे बिल्डर शामिल है जो या तो जेल में है या भाग गए है या फिर खरीदार के जाने पर वह उन्हें डरा धमकाया जा रहा है। इन बिल्डरों को नोटिस जारी किए जा रहे है। पंजीकरण नहीं होने पर आएगी समस्या
रियल एस्टेट नियामक ने खरीदारों को ऐसे रियल्टी परियोजनाओं में निवेश नहीं करने की सलाह दी है जिनके भवन ले-आउट को एक सक्षम एजेंसी की ओर अनुमोदित नहीं किया गया है। यही नहीं परियोजनाओं में कानूनी समस्याएं हैं या बिल्डर धन का दुरुपयोग करता है, तो रेरा मदद नहीं कर पाएगा, क्योंकि जनपद में जिला पंचायत भी भवन मानचित्र को मंजूरी नहीं दे सकती है। दरअसल, जनवरी 2015 में यूपी सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पंचायती राज प्रणाली को समाप्त कर दिया था। ऐसे में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को छोड़कर किसी भी अन्य सरकारी एजेंसी के पास एक रियल्टी प्रोजेक्ट के बिल्डिग ले-आउट योजना को मंजूरी देने की शक्ति नहीं है। लिहाजा बिल्डर के बारे में जानकारी जुटा पाना काफी मुश्किल है लेकिन शिकायतों के आधार पर इनका लेखा जोखा तैयार किया जा रहा है। ताकि खरीदार को उनका हक दिलाया जा सके। हम कोशिश कर रहे हैं कि खरीदार को उनका हक दिलाया जाए। इसके लिए ऐसे बिल्डर जिन्होंने पंजीकरण नहीं कराया है खरीदार की शिकायतों के आधार पर उन पर सख्ती बरती जाएगी। नोटिस जारी किए जा रहे हैं। ऐसे बिल्डरों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
-बलविदर कुमार, सदस्य (यूपी रेरा)