.और मां की तरह दुनिया में कोई हो नहीं सकता
फोटो एनओबी-5 बेमिसाल -80 वर्षीय मां ने बेटे को किडनी दान कर दी नई जिदगी - इंडिया बुक अ
फोटो एनओबी-5
बेमिसाल
-80 वर्षीय मां ने बेटे को किडनी दान कर दी नई जिदगी
- इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ मामला, मां-बेटे दोनों स्वस्थ
जागरण संवाददाता, नोएडा :
मां के त्याग, बलिदान, समर्पण व प्यार को किसी तराजू में तौला नहीं जा सकता, और मां की तरह दुनिया में कोई हो नहीं सकता।
52 वर्ष पहले जिस बेटे को जन्म दिया था, आज उसी को अपनी किडनी देकर फिर से नया जीवन दिया है। यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि हकीकत है। कैमरून (गिनी की खाड़ी, मध्य अफ्रीका) की रहने वाली 80 वर्षीय मेडेलीन ने सेक्टर-128 स्थित जेपी अस्पताल में अपने बेटे जोसेफ को किडनी देकर नई जिदगी का तोहफा दिया है।
जेपी अस्पताल के यूरोलाजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. अमित देवड़ा ने बताया कि जोसेफ लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। बीमारी से उनकी किडनी फेल हो चुकी थी। बेटे की जिदगी बचाने के लिए मां अपनी किडनी दान करने को तैयार हुई, लेकिन उनकी अधिक उम्र ट्रांसप्लांट में बड़ी चुनौती थी। जांच के बाद पाया गया कि मेडेलिन की किडनी प्रत्यारोपण के लिए फिट थी, लेकिन जिस किडनी को प्रत्यारोपित किया जाना था, उसमें एक छोटी पथरी भी मिली। ऐसे में प्रत्यारोपण की प्रक्रिया जटिल हो गई, लेकिन इस धरती पर लोगों की जान बचाकर चमत्कार करनेवाले चिकित्सकों की विशेष टीम ने किडनी को जोसेफ के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया। दोनों को अस्पताल में आठ दिन निगरानी में रखने के बाद छुट्टी दे दी गई। हालांकि उनका फालोअप किया जा रहा है।
प्रत्यारोपण करने में डॉ. विजय सिन्हा, डॉ. एलपी चौधरी, डॉ. रवि सिंह, डॉ. अनुज अरोड़ा, डॉ. खुशबू सिंह आदि शामिल थे।
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दर्द कम करने के लिए की लेप्रोस्कोपी सर्जरी
किडनी लेप्रोस्कोपी के द्वारा निकाली गई। इसके बाद किडनी को बर्फ में रखकर पथरी को निकाला गया। हालांकि यह बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि जरा सी गलती से किडनी खराब हो सकती थी। जेपी अस्पताल पिछले साढ़े पांच वर्षो में 670 किडनी प्रत्यारोपित कर चुका है।
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इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ मामला
वृद्ध जीवित महिला के किडनी डोनेशन का यह मामला इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। चिकित्सकों का कहना है कि इससे दुनिया में वृद्धावस्था में भी ट्रांसप्लांट की चुनौती को स्वीकार करने का रास्ता खुलेगा और हजारों रोगियों को उपचार के बाद नया जीवन मिल सकेगा।