विश्व में प्रदूषण से मरने वालों में 27 फीसद भारत के लोग
जागरण संवाददाता नोएडा दिल्ली वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन और कोविड पर चर्चा करते हुए सो
जागरण संवाददाता, नोएडा:
दिल्ली वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और कोविड पर चर्चा करते हुए सोमवार को एमिटी विश्वविद्यालय में वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विनोद वी ने कहा कि मानव क्रियाओं से अधिकतर स्थानों पर विश्व का तापमान बढ़ गया है।
ग्रीन हाउस गैस के अंर्तगत कार्बनडाइ ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, ओजोन और ऐरोसोल के अंर्तगत सल्फेट, नाइट्रेट, धूल और वायु प्रदूषण में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड शमिल हैं। भारत या साउथ एशिया को देखे तो पाएंगे कि प्रदूषण के कारण वैश्विक स्तर पर होने वाली मृत्यु में 27 प्रतिशत भारत में होती हैं। नई दिल्ली निरंतर एक प्रदूषित शहर में शामिल है। वर्ष 2019 में एयर क्वालिटी इंडेक्स के तहत भारत के गाजियाबाद को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था। कार्बनडाइ ऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में भारत विश्व में चतुर्थ स्थान पर है, जबकि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम है। इसमें सुधार के लिए सरकार की ओर से सख्त कदम उठाना जरूरी है।