लाकडाउन में तीन भाषाओं की 20 किताबों में बनीं सह लेखिका, इंडिया बुक आफ रिकार्डस में दर्ज कराया नाम
सुनाक्षी गुप्ता नोएडा पिछले वर्ष इस समय देशवासी अपने- अपने घरों में कैद थे। कोरोना संक्र
सुनाक्षी गुप्ता, नोएडा :
पिछले वर्ष इस समय देशवासी अपने- अपने घरों में कैद थे। कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में लगे लाकडाउन से लोग कई तरह से प्रभावित हुई थे। कोई अवसाद का शिकार हुआ तो किसी ने इस समय को खुद को पहचानने और प्रतिभा निखारने में लगाया। नोएडा की एक छात्रा ने लाकडाउन के समय का ऐसा सदुपयोग किया कि उनका जीवन ही बदल गया। श्रेया श्री ने मात्र 19 साल की उम्र में 100 से अधिक किताबों की सह-लेखिका बनीं। लाकडाउन में करीब 20 किताबों को कंपाइल किया। वह हिदी, अंग्रेजी और मैथिली, तीन भाषाओं में एकसाथ काम करने के लिए जुलाई 2020 में इंडिया बुक आफ रिकार्डस से सम्मानित हो चुकी हैं।
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अपने लेखन से सकारात्मकता फैलाने का है लक्ष्य सेक्टर-62 स्थित आइएमएस कालेज में पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा श्रेया बताती हैं कि वह आठवीं कक्षा से ही लेखन से जुड़ी हुई हैं। कक्षा 12वीं तक उन्होंने कई कविताएं लिखीं। लाकडाउन में जब हर जगह उदासी थी, तब उन्होंने सकारात्मकता का रास्ता अपनाया। सकारात्मक दृष्टिकोण की मदद से समाज के विभिन्न विषयों पर लेख लिखे। इन्हीं लेख को किताब का रूप देने के लिए विभिन्न पब्लिशर और साहित्यकारों से मिलीं और 20 किताबों में सह लेखिका बनकर नाम दर्ज कराया। वह भविष्य में भी सकारात्मक विषयों पर लिखना चाहती हैं।
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मैथिली से की शुरुआत, हिदी और अंग्रेजी में भी पाया सम्मान मूलरूप से बिहार के मधुबनी की रहने वाली श्रेया बताती हैं कि उनकी पहली किताब मिथलाक संस्कृति अप्रैल 2020 में पूरी हुई थी। इसके बाद उन्होंने हिदी भाषा में शक्ति और उन्मुक्त आदि किताबों के लिए लिखा। अंग्रेजी में 'पिक इज नाट ओनली मेंट फार गर्ल्स' आदि किताबों का हिस्सा बनी।
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पाए कई राष्ट्रीय सम्मान लाकडाउन के समय को उपयोगी बनाने के साथ ही श्रेया कई राष्ट्रीय सम्मान हासिल कर चुकी हैं। वह वजरा बुक आफ रिकार्ड होल्डर, कलाम बुक आफ रिकार्ड, इंडियन अचीवर अवार्ड 2021 अपने नाम कर चुकी हैं। फरवरी में दादा साहेब फाल्के इंडियन टेलीविजन अवार्ड 2021 में एंटरप्रेन्योर सम्मान से नवाजी गई हैं।