जकात की रकम से कोरोना मरीजों की मदद
जेएनएन मुजफ्फरनगर दिलशाद। अहले ईमान को खुदा ने रमजान की शक्ल में दीनी इम्तिहान देने के बाद ईद अता फरमाई है। इस खुशी को हासिल करने के साथ कुछ कायदा-उसूल और फर्ज भी मुकर्रर किए गए हैं। इनमें जकात सदका-ए-फितर मुख्य शामिल हैं। सदका ईमान की मजबूती है जबकि जकात खुदा का टैक्स होता है। यह कुल संपत्ति का वार्षिक आंकलन करने के बाद 2.5 फीसद अदा करना जरूरी है। वहीं आपदा काल में जकात की रवायत भी बदल गई है। जकात लोगों ने दवा राशन की शक्ल में मिस्कीनों (गरीबों) तक पहुंचाया है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर, दिलशाद।
अहले ईमान को खुदा ने रमजान की शक्ल में दीनी इम्तिहान देने के बाद ईद अता फरमाई है। इस खुशी को हासिल करने के साथ कुछ कायदा-उसूल और फर्ज भी मुकर्रर किए गए हैं। इनमें जकात, सदका-ए-फितर मुख्य शामिल हैं। सदका ईमान की मजबूती है, जबकि जकात खुदा का टैक्स होता है। यह कुल संपत्ति का वार्षिक आंकलन करने के बाद 2.5 फीसद अदा करना जरूरी है। वहीं आपदा काल में जकात की रवायत भी बदल गई है। जकात लोगों ने दवा, राशन की शक्ल में मिस्कीनों (गरीबों) तक पहुंचाया है।
महामारी को देख दवा के रूप में भेजी जकात
सुजड़ू गांव निवासी अजीम राणा दुबई में इंजीनियर हैं। वहां अपनी कंपनी चलाते हैं। शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखने वाले अजीम ने जकात का स्वरूप बदल दिया। 21 मार्च को उनकी मां शहनाज बेगम उनके पास दुबई पहुंच गई थीं। महामारी की दूसरी लहर घातक हुई तो उन्होंने अपनी मां की रहनुमाई के बाद अपनी संपत्ति का आंकलन किया और 2.5 प्रतिशत जकात निकाली, जिसे खालापार में अपने दोस्त अमान जमा के बैंक खाते में भेजा और महामारी में दवा, आक्सीजन से जूझ रहे लोगों की मदद कराई। अमान जमा बताते हैं कि जकात में आए पैसों से पल्स आक्सीमीटर, दवाएं और इंजेक्शन, मास्क वितरण किया गया, जिससे लोगों को राहत मिली और जकात का हक भी अता हो गया।
गरीबों को दिला रहे जकात के पैसों से दवा
नगरपालिका के पूर्व सभासद फैसल भी मुकद्दस माह-ए-रमजान के बाद अब जकात के पैसों से लोगों का दुख दूर कर रहे हैं। फैसल बताते हैं कि जकात के रुपयों में कुछ हिस्सा रोक लिया। महामारी के दौर में ऐसे कई मिस्कीन सामने आए हैं, जिनके पास दवा और जरूरत को पूरा करने के लिए पैसा नहीं था। ऐसे में उन्हें जकात के माध्यम से दवा दिलवाई गई। इस फर्ज और नेक काम करने से लोगों को राहत मिली, जबकि उन्हें सुकून हासिल हुआ है।
इस तरह फर्ज से जकात
जिसके पास साढ़े 52 तोला चांदी या इसके बराबर धन है और कोई कर्ज नहीं है। उस पर 2.5 प्रतिशत जकात गरीबों को देना फर्ज है। इसका मकसद गरीब लोगों को ईद की खुशियों में शामिल होने का मौका देना है।