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बेटे-बेटियों की शिक्षा के लिए सेतु ह विष्णु

सलेमपुर में अंकुरित हो रही शिक्षा, बढ़ रही बेटियां। स्कूल के साथ गांव में फैलाया शिक्षा का उजियारा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:35 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:35 PM (IST)
बेटे-बेटियों की शिक्षा के लिए सेतु ह विष्णु
बेटे-बेटियों की शिक्षा के लिए सेतु ह विष्णु

मुजफ्फरनगर : शिक्षा में पिछड़ा सलेमपुर गांव अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है। गांव में शिक्षा के अंकुर फूटे तो बेटियों को भी मंजिल मिलने लगी है। बेटियों की शिक्षा में आर्थिक स्थिति रोड़ा बन गई थी, ऐसे में वह आठवीं कक्षा से आगे नहीं बढ़ रही थीं। बेटियों की शिक्षा के लिए विष्णु दत्त त्यागी सेतू बनकर उभरे हैं। बेटियों को शिक्षा दिलाने की मुहिम छेड़ी, साथ में स्कूल की व्यवस्था भी चाक-चौबंद कर दी। अब यह स्कूल दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गया है। शिक्षा के सेतू से बच्चों को समानता के ट्रैक पर चलाया जा रहा है, ताकि एक नए भविष्य की नींव पड़ सके।

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शहर के गंगा विहार कॉलोनी निवासी विष्णुदत्त त्यागी चरथावल के सलेमपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं। तीन साल पहले उनकी यहां तैनाती हुई थी। स्कूल की हालत और बच्चों की संख्या देखकर चौंक गए। बच्चों के स्कूल नहीं आने का कारण जानने के लिए अभिभावकों से मुलाकात की। बच्चों के साथ अभिभावकों को शिक्षा के लिए जगाया तो गांव में मुहिम छिड़ गई। गांव में घूमे तो कई बेटियां आठवीं के बाद शिक्षा से दूर हो चुकी थीं, यह बात विष्णु को अखर गई। बेटियों को शिक्षा दिलाने के लिए काम किया और उन्हें शिक्षावान बनाने का बीड़ा उठाया। उनके इस काम को मंजिल तक पहुंचाने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं ने हाथ बढ़ाए। दो साल में चार बेटियों का उच्च शिक्षा के लिए दाखिला कर चुके हैं। प्रधानाध्यापक विष्णु दत्त त्यागी की मेहनत का नतीजा है कि आज स्कूल में बच्चों की संख्या 193 तक पहुंच गई है। अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरुकता का प्रकाश फैला है। स्कूल में बेटियों के लिए बनवाए शौचालय

प्रधानाध्यापक विष्णुदत्त त्यागी बताते हैं कि स्कूल के पीछे पंचायत कार्यालय है। इसके पीछे लड़कियां शौचालय जाने के लिए लाइन लगातीं थीं। इसे जानने के बाद उन्हें अफसोस हुआ। इसके बाद लड़कियों के लिए अलग से चार टॉयलेट बनवाए गए। इसके साथ ही लड़कों के लिए टॉयलेट का निर्माण करा रहे हैं। बच्चों को बेहतर सुविधा मिले, इसके लिए तनख्वाह का कुछ हिस्सा स्कूल में खर्च करने से पीछे नहीं हटते हैं। रसोई के साथ स्कूल की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि आसपास नजर रखी जा सके। स्कूल पहुंचने के बाद जिस तरह से शिक्षक बायोमैट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज कराते हैं, उसी तरह बच्चे भी हाजिरी लगाते हैं। बाल सदन पढ़ाते हैं समानता का पाठ

सलेमपुर का स्कूल चरथावल ब्लॉक के साथ जनपद के लिए भी नजीर है। मासिक टेस्ट होने के साथ बाल सदन का कार्यक्रम होता है। इसमें अध्यापक बच्चों को समाज में समानता, एकता व भाईचारे का पाठ पढ़ाते हैं। यह स्कूल अन्य स्कूलों से हटकर है। यहां ब्लैक बोर्ड के बजाए व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई होती है। बच्चे मेज व बेंच पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। बाल सदन में बच्चे मन की बात रखते हैं। शिक्षा से जुड़े अनेक पहलुओं, समस्याओं का निराकरण कराते हैं।


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