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साल में 4717 मुकदमे निस्तारण कर दर्ज कराया इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में नाम

मुकदमों का त्वरित निस्तारण कर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तेज बहादुर सिंह ने अपना नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज करा लिया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 07 Apr 2017 11:19 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 11:27 PM (IST)
साल में 4717 मुकदमे निस्तारण कर दर्ज कराया इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में नाम
साल में 4717 मुकदमे निस्तारण कर दर्ज कराया इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में नाम

मुजफ्फरनगर (जेएनएन)।  मुकदमों का त्वरित निस्तारण कर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तेज बहादुर सिंह ने अपना नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज करा लिया। उन्होंने एक वर्ष में 4717 पारिवारिक मुकदमों का निस्तारण किया। परिवार न्यायालय जिला मुजफ्फरनगर के प्रधान न्यायाधीश तेज बहादुर सिंह ने न्यायालय के विश्राम कक्ष में बताया कि उन्होंने 17 अगस्त 2015 से लेकर 17 सितंबर 2016 के मध्य अपने कुल 246 कार्य दिवसों में 4717 पारिवारिक मुकदमों का निस्तारण किया। जो कि एक रिकार्ड है। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनका नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया गया है।

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806 परिवार उजडऩे से बचे

न्यायाधीश तेज बहादुर ने बताया कि उनके द्वारा निस्तारित 4717 पारिवारिक मामलों में से 806 मुकदमों में पति-पत्नी को न्यायालय द्वारा स्वयं सौहार्दपूर्ण तरीके से समझाया गया। ऐसा करने से उनका परिवार उजडऩे से बच गया और वे हंसी-खुशी अपना घर बसाने चले गए। न्यायाधीश तेज बहादुर ने बताया कि एक वर्ष के जिन 246 कार्य दिवसों में उन्होंने 4717 पारिवारिक मुकदमों का निस्तारण किया उनमें से 141 दिन अधिवक्ताओं की हड़ताल भी रही। बताया कि हड़ताल की अवधि में भी नियमित रूप से न्यायालय में बैठकर मुकदमों का निस्तारण किया जाता रहा। 

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डेढ़ वर्ष में निबटाए 6065 मुकदमे

तेज बहादुर सिंह ने बताया कि 17 अगस्त 2015 से लेकर 31 मार्च 2017 तक 327 कार्यदिवसों में उन्होंने 6065 मुकदमों का निस्तारण किया। बताया कि इनमें से 903 मुकदमों में पति-पत्नी हंसी-खुशी अपने घर लौटे। तेज बहादुर ने विधि व हिंदी साहित्य से संबंधित विषयों पर कई पुस्तकें भी लिखीं। हिंदी में विधि मंथन, अंग्रेजी में डवलपमेंट आफ लीगल ऐड इन इंडिया, चाइल्ड लेबर एब्यूज इन इंडिया, ला मारल जजेज एंड जस्टिस तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-एक परिचय व हिंदी कविताओं का संकलन किया, जिनमें यथार्थ के स्वर भाग-1,2 शामिल हैं।

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