चिकित्सकों की मेहनत से जुड़ी थी टूटते सांसों की डोर
मरीजों का उपचार चिकित्सक का फर्ज है लेकिन खतरा होने के बावजूद जान की परवाह किये बिना फर्ज निभाने वाले किसी फरिश्ते से कम नहीं। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के चिकित्सक ऐसे ही फरिश्ते बनकर आगे आए। मेडिकल कालेज के चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ के दिन-रात एक कर देने के चलते ही 3200 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मरीजों का उपचार चिकित्सक का फर्ज है, लेकिन खतरा होने के बावजूद जान की परवाह किये बिना फर्ज निभाने वाले किसी फरिश्ते से कम नहीं। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के चिकित्सक ऐसे ही फरिश्ते बनकर आगे आए। मेडिकल कालेज के चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ के दिन-रात एक कर देने के चलते ही 3200 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे।
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अपने भी मरीजों का साथ छोड़ रहे थे। कई ऐसे मामले आए जब संक्रमित मरीज को उनके अपने ही अकेला छोड़कर लापता हो गए, लेकिन इस संकट की घड़ी को टालने में चिकित्सक पेशे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज की भूमिका रही थी अहम
कोरोना वायरस संक्रमण शुरू होने के बाद शासन के निर्देश पर बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज को कोविड-19 हास्पिटल बनाया गया था। हास्पिटल में एल-2 के 200 तथा एल-3 के 100 बेड निर्धारित करते हुए सभी बेड पर आक्सीजन की व्यवस्था की गई थी। स्वास्थ्य सुविधाएं देने के साथ मेडिकल कालेज प्रशासन तथा चिकित्सकों ने रात-दिन एक कर संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य सेवा दी। जान की परवाह किये बिना निभाई थी जिम्मेदारी
महामारी के दौरान लोगों के दिलों में संक्रमण की गहरी दहशत बैठ गई थी। बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में दोनो लहर के दौरान 3397 मरीजों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया। मेडिकल कालेज प्रिसिपल डा. गुरुदीप मनचंदा के नेतृत्व में कालेज के चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, अस्पताल प्रशासन तथा सिक्योरिटी व सफाई से जुड़े कर्मचारी कोरोना योद्धा साबित हुए, जिन्होंने जान की परवाह किये बिना जिम्मेदारी निभाई। डा. कीर्ति, डा. सरोहा तथा डा. असद बन गए थे फरिश्ता
मरीजों को उपचार देकर स्वस्थ्य करने में मेडिकल कालेज के पूर्व सीएमएस डा. कीर्तिग गिरी गोस्वामी, सुपरिन्टेंडेंट डा. असद तथा डा. नीलांक सरोहा का योगदान सराहनीय रहा। यह सभी चिकित्सक मरीजों के लिए फरिश्ता साबित हुए थे।