पेपर मिलों पर छाए मंदी के बादल, चिता में उद्यमी
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लगे लाकडाउन के बाद से पेपर उद्योग पर मंदी के बादल छाने लगे हैं। केवल मुजफ्फरनगर में ही नहीं आसपास के जिलों में चल रही पेपर मिलों की सप्ताह में कुछ दिन बंदी को लेकर उद्यमी चिता में डूबे हुए हैं। कच्चा माल महंगा मिलने के चलते आ रही परेशानियों को लेकर कुछ पेपर मिल संचालकों ने बैठक कर निदान को सरकार से सब्सिडी की मांग को लेकर चर्चा की।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लगे लाकडाउन के बाद से पेपर उद्योग पर मंदी के बादल छाने लगे हैं। केवल मुजफ्फरनगर में ही नहीं आसपास के जिलों में चल रही पेपर मिलों की सप्ताह में कुछ दिन बंदी को लेकर उद्यमी चिता में डूबे हुए हैं। कच्चा माल महंगा मिलने के चलते आ रही परेशानियों को लेकर कुछ पेपर मिल संचालकों ने बैठक कर निदान को सरकार से सब्सिडी की मांग को लेकर चर्चा की।
भोपा रोड स्थित सिद्धबली पेपर मिल पर शनिवार को मिल संचालकों की बैठक हुई। इसमें पेपर मिल उद्योग पर मंडरा रहे संकट के बादलों को लेकर चिता व्यक्त की गई। सिद्धबली पेपर मिल के संचालक भीमसैन कंसल ने बताया कि मेरठ, गाजियाबाद, शामली सहित मुजफ्फरनगर में लगभग 50 पेपर मिलें हैं, जिनमें विदेशों से कागज की रद्दी पर्याप्त मात्रा में न मिलने के साथ महंगी मिल रही है। इस कारण प्रोडेक्शन महंगा पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इसके चलते 10 रुपये किलो मिलने वाली कागज की रद्दी 17 रुपये में खरीदनी पड़ रही है, जबकि मिलों में तैयार माल पुराने रेट पर बिक्री करना मजबूरी बना हुआ है। यह स्थिति कोरोना शुरू होने के बाद से हो रही है। पेपर उद्योग को उठाने के लिए सरकार को पेपर उद्योग को माल-भाड़े सहित अन्य कार्याें में सब्सिडी देकर मदद देनी चाहिए, ताकि वेस्ट यूपी की पेपर मिलों को बंदी की कगार पर पहुंचने से बचाया जा सके। इस दौरान शिशिर गोयल, अक्षय जैन, संजीव जैन, पंकज अग्रवाल आदि पेपर मिल संचालक मौजूद रहे।