खुजेड़ा में बंदरों का आतंक, कुत्तों से शहर परेशान
जानसठ तहसील के खुजेड़ा गांव में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खूंखार बंदरों का झुंड गांव के खुले घरों में कूदकर बच्चों व बड़ों को निशाना बना रहे हैं। स्थिति यह है कि बंदर एक ही आदमी को कई-कई बार काटकर घायल कर चुके हैं जिससे वहां के लोग गांव की गलियों में चलने और घर में बैठते समय भी डंडा साथ रखने को मजबूर हैं।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। जानसठ तहसील के खुजेड़ा गांव में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खूंखार बंदरों का झुंड गांव के खुले घरों में कूदकर बच्चों व बड़ों को निशाना बना रहे हैं। स्थिति यह है कि बंदर एक ही आदमी को कई-कई बार काटकर घायल कर चुके हैं, जिससे वहां के लोग गांव की गलियों में चलने और घर में बैठते समय भी डंडा साथ रखने को मजबूर हैं। कई वर्ष की इस समस्या का दुखड़ा इस बार विधानसभा चुनाव में वोट मांगने वाले उम्मीदवारों के सामने यक्ष प्रश्न साबित होगा।
विधानसभा चुनाव में वोट मांगने के लिए गांव में पहुंचने वाले उम्मीदवारों से खुजेड़ा के लोग उनका बंदरों से सामाना कराने का मन बनाए बैठे हैं। नगरपालिका और नगर पंचायत सहित प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त बैठे लोगों का गुस्सा फूट रहा है। इसका कारण है कि गांव में कई वर्ष पूर्व कोई बंदरों का समूह जंगल में छोड़ गया, जिनका कुनबा बढ़कर लोगों के घरों तक घुस गया। ये बंदर खूंखार हो गए हैं, जो अकेले बैठे बच्चों, महिलाओं और व्यक्तियों को घेरकर घायल कर रहे हैं। गांव में करीब 50 से अधिक लोग बंदर के काटने से जख्मी हो चुके हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन्हें बंदरों ने एक नहीं, बल्कि चार-चार बार काटा है।
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नगर में आवारा कुत्तों से बढ़ी परेशानी, फैला रहे गंदगी
नगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों का समूह भी बढ़ रहा है। रात के समय ये कुत्ते लोगों के पीछे भागते हैं। कई बार लोगों को अपने दांत मारकर अस्पताल में पहुंचने को मजबूर कर रहे हैं। शहर की इंदिरा कालोनी, आनंदपुरी, मल्हूपुरा, साकेत, ब्रह्मपुरी, रामपुरी, लद्धावाला, खालापार सहित अन्य क्षेत्रों में कुत्ते रात को आफत मचाकर लोगों का नुकसान करते हैं। लोगों के घरों के बाहर गंदगी फैलाकर सड़कों को गंदा करते हैं। पालिका इन कुत्तों की नसबंदी कराने के लिए कोई कदम तक नहीं उठा रही है। हालांकि बेसहारा गोवंश की गौशाला में व्यवस्था होने से लोगों को राहत मिली है।
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बंदरों के शिकार लोगों में आक्रोश
पांच वर्ष से अधिक समय हो गया। गांव में 50 से अधिक लोगों को बंदर कई-कई बार काट चुके हैं। लोग इस समस्या का निदान सबसे पहले चाहते हैं। इस बार उसी उम्मीदवार को वोट देंगे जो हमारी इस समस्या को दूर करेगा।
- राजबीर चंदेल
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मैं घर में बैठकर खाना खा रहा था। उसी समय बंदर ने मेरी तरफ झपटकर कमर पर काट लिया। तब से मुझे घर में भी डंडा लेकर बैठना पड़ता है। घर खुले हैं तो बंदर कहीं से भी नीचे आ जाते हैं।
- अंशल चंदेल
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मेरे घर में प्रतिदिन बंदर आते हैं। यदि हम में से कोई भी उनके सामने आता है तो वह काट लेते हैं। इस कारण कमरों से बाहर निकलने के लिए अपने बड़ों का इंतजार करना पड़ता है। मेरे दादा तक को बंदर काट चुके हैं।
- मनी
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गांव में बंदरों से हम परेशान हैं। घर खुला है। इस कारण कई बार बंदर मुझे काट चुके हैं। इंजेक्शन लगवाने के लिए शहर जाना पड़ा। पता नहीं कब हमे इस आतंक से छुटकारा मिलेगा।
- हनी चंदेल
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खुजेड़ा में कुछ ही परिवार ऐसे होंगे, जिसमें कोई सदस्य बंदर के काटने से बचा हुआ हो। जानसठ तहसील में शिकायत करने पर भी कोई टीम बंदरों को पकड़ने के लिए आज तक गांव में नहीं आई है। जनप्रतिनिधि भी नहीं सुनते हैं। ऐसे में किसी को वोट देने का भी मन नहीं करता है।
- सुनीता
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गांव में बंदर खूंखार हो चुके हैं। रात को कई बार घरों में घुसकर बैठ जाते हैं। खुद के साथ छोटे बच्चों को बचाकर रखना चुनौती बन गया है। हमें इस समस्या से निदान चाहिए। कम से कम 100 से अधिक बंदर गांव में हैं।
-सतपाली देवी
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मेरे परिवार में मेरे साथ कई लोगों को बंदर ने काटा है। दिल्ली से भी परिवार के लोग पहुंचते हैं तो उनकी मदद के लिए हमें डंड़े लेकर बैठना पड़ता है। इस समस्या का असर विधानसभा चुनाव में जरूर दिखेगा।
- शीशपाल
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बंदर न खाना बनाने देते हैं और न ही गलियों में अकेले जाने देते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए गांव में कोई टीम नहीं पहुंची। हम इस समस्या से हर दिन जूझ रहे हैं।
महावीरी देवी