एक ही मोबाइल पर दस या अधिक सट्टा के पर्ची एसएमएस की होगी जांच
प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने सभी जिला गन्ना अधिकारियों को एक ही मोबाइल पर दस या इससे अधिक सट्टों की पर्चियों के एसएमएस आने वाले नंबर की जांच के निर्देश दिए।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने सभी जिला गन्ना अधिकारियों को एक ही मोबाइल पर दस या इससे अधिक सट्टों की पर्चियों के एसएमएस आने वाले नंबर की जांच के निर्देश दिए।
अवांछनीय तत्वों के गन्ना की कालाबाजारी करने की दृष्टि से एक ही मोबाइल नंबर पर अपने परिवार के सदस्यों से इतर अन्य गन्ना किसानों की एसएमएस से गन्ना पर्चियां प्राप्त कर गन्ना आपूर्ति किया जा रहा है। इससे गरीब गन्ना किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। अवांछनीय तत्व गन्ने की कालाबाजारी करने की दृष्टि से छोटे गन्ना किसानों के खेत में खड़े गन्ने को खरीद लेते हैं और उनके सट्टों पर अपना मोबाइल नंबर फीड करवा लेते हैं। इससे गन्ना आपूर्ति के लिए पर्चियों के एसएमएस उनके मोबाइल पर ही प्राप्त होते हैं। वास्तविक किसान तक गन्ना पर्ची का एसएमएस नहीं पहुंच पाता। उन्होंने बोगस, त्रुटिपूर्ण एवं डमी मोबाइल नंबरों पर चल रहे सट्टों पर यदि आपूर्ति नहीं हो रही है तो ऐसे सट्टों को बंद कराते हुए सिस्टम से डिलीट कराने के निर्देश दिए। जिला गन्ना अधिकारी डा. आरडी द्विवेदी ने बताया कि ऐसे गन्ना सट्टों की जांच शुरू कर दी गई है, जो एक ही मोबाइल नंबर पर परिवार के अलावा अन्य किसानों के सट्टों में भी अंकित है। यदि कालाबाजारी करने के लिए सट्टों में मोबाइल नंबर मिला तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सिचाई विभाग ने जन सूचना मांगने पर जमा कराए 5.23 लाख रुपये
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। ककरौली में सिचाई विभाग मुजफ्फरनगर गंग नहर से नरेंद्र सिंह राठी, कृष्णपाल दहिया व कमल कुमार ने 11 अक्टूबर, 2021 को विभाग के कराए गए कार्यो की जानकारी 11 पत्रों के जरिए मांगी थी। इस पर विभाग ने जानकारी देने के लिए नरेंद्र सिंह राठी के नाम एक पत्र जारी कर पांच लाख तेईस हजार रुपये जमा करने के बाद जानकारी देने को कहा था।
नरेंद्र राठी ने बैंक डिमांड ड्राफ्ट से सिचाई विभाग के नाम पांच लाख तेईस हजार रुपये जमा करा दिए थे। परंतु तीन माह बीतने के बाद भी विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी है। नरेंद्र राठी ने विभाग पर आरोप लगाते हुए बताया कि कार्यो में बड़ा भ्रष्टाचार लगता है । अफसरों ने चहेते ठेकेदारों के नाम अनुबंध कर एमबी पर फर्जी कार्य दर्शा कर आनलाइन भुगतान करा दिया है, जबकि मैंने इन सब कार्यो की जांच के लिए एसआइटी अथवा सीबीआइ से कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की है।