84 गांव में 47,773 परिवारों का सर्वे, 5213 मिले बीमार
स्वास्थ्य विभाग और खतौली तहसील प्रशासन की टीम ने खंड विकास क्षेत्र की 84 ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य सर्वेक्षण कराया है। इन गांवों में 47 हजार से अधिक परिवारों का सर्वे किया गया जिनमें 5 हजार से ज्यादा लोग बीमारियों से ग्रस्त मिले हैं। इन लोगों को गांव में ही ई-रिक्शा मोबाइल टीम के जरिए दवाइयां उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही होम आइसोलेट किए गए रोगियों उनके स्वजन की जांच की गई।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। स्वास्थ्य विभाग और खतौली तहसील प्रशासन की टीम ने खंड विकास क्षेत्र की 84 ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य सर्वेक्षण कराया है। इन गांवों में 47 हजार से अधिक परिवारों का सर्वे किया गया, जिनमें 5 हजार से ज्यादा लोग बीमारियों से ग्रस्त मिले हैं। इन लोगों को गांव में ही ई-रिक्शा मोबाइल टीम के जरिए दवाइयां उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही होम आइसोलेट किए गए रोगियों, उनके स्वजन की जांच की गई।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं एसडीएम इंद्राकांत द्विवेदी ने गांव में संक्रमण की रफ्तार रोकने के लिए ई-रिक्शा मोबाइल टीम, आशा संगिनी, आशा कार्यकत्रियों व स्वास्थ्यकर्मियों की टीमों को गठन किया। जिन-जिन गांवों में आशा संगिनी कार्यरत हैं, उन्हें वहीं की जिम्मेदारी दी गई। एक सप्ताह तक लोगों का स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया। आशा कार्यकत्रियों के माध्यम से परिवार के सदस्यों की बीमारी, कोविड लक्षणों की पड़ताल की गई। मंगलवार को सर्वेक्षण पूर्ण किया गया। अभियान में खंड विकास क्षेत्र की 84 ग्राम पंचायतों के 47,773 परिवारों का सर्वे किया गया है। इनमें एक-एक सदस्य के बारे में पूछताछ की गई। सर्वेक्षण में सामने आया कि गांवों में बड़ी संख्या में लोग खांसी-बुखार के साथ सर्दी-जुकाम से पीड़ित हैं। ये लोग कोविड के भय के चलते उपचार कराने से हिचक रहे थे। इन गांवों में 5213 लोगों में खांसी-बुखार के लक्षण मिले हैं। वहीं, 400 से अधिक शहरी क्षेत्र मे भी बीमार पाए गए। इन्हें तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दवाइयां उपलब्ध कराई गई। लोगों का हाल जानने निकले अधिकारी
मंगलवार को एसडीएम इंद्राकांत द्विवेदी, पीएचसी प्रभारी डा. अवनीश कुमार के साथ शेखपुरा, मोहिउद्दीनपुर व लाड़पुर में लोगों को हाल जाना है। यहां बीमार लोगों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली गई। साथ ही दवाओं की आपूर्ति को देखा गया। इसके बाद जगह-जगह होम आइसोलेट चल रहे रोगियों का आक्सीजन लेवल, पल्स आक्सीमीटर का परीक्षण किया गया। उनके स्वजन की जांच की गई।