मुस्लिम वोटों का सहारा, दावेदारी से किनारा
एक वक्त था जब मुजफ्फरनगर और कैराना से लोकसभा का प्रतिनिधित्व एकही मुस्लिम परिवार के पास था जिनमें मुजफ्फरनगर से लताफत अली खां और कैराना से उनके बहनोई गय्यूर अली खां सांसद थे। चुनाव में तस्वीर जुदा नजर आ रही है। जिले की सियासत में कद्दावर मुस्लिम चेहरों को उन्हीं की पार्टियों ने घर बैठा दिया। हालांकि मुस्लिम मतों पर अभी भी पूरा हक जताया जा रहा है। मुस्लिम मतों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत भिड़ा रहे सपा-रालोद गठबंधन ने सभी छह विधानसभा सीटों पर गैर मुस्लिम चेहरों को उतारा है। ऐसा नहीं कि विधानसभा सीटों पर किसी मुस्लिम चेहरे ने दावेदारी नहीं की बल्कि मुस्लिम मतों के ख्वाहिशमंदों ने उनकी दावेदारी पुख्ता करने से किनारा किया।
मुजफ्फरनगर, मनीष शर्मा।
एक वक्त था जब मुजफ्फरनगर और कैराना से लोकसभा का प्रतिनिधित्व एकही मुस्लिम परिवार के पास था, जिनमें मुजफ्फरनगर से लताफत अली खां और कैराना से उनके बहनोई गय्यूर अली खां सांसद थे। चुनाव में तस्वीर जुदा नजर आ रही है। जिले की सियासत में कद्दावर मुस्लिम चेहरों को उन्हीं की पार्टियों ने घर बैठा दिया। हालांकि मुस्लिम मतों पर अभी भी पूरा हक जताया जा रहा है। मुस्लिम मतों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत भिड़ा रहे सपा-रालोद गठबंधन ने सभी छह विधानसभा सीटों पर गैर मुस्लिम चेहरों को उतारा है। ऐसा नहीं कि विधानसभा सीटों पर किसी मुस्लिम चेहरे ने दावेदारी नहीं की, बल्कि मुस्लिम मतों के ख्वाहिशमंदों ने उनकी दावेदारी पुख्ता करने से किनारा किया।
राणा परिवार हो या आलम खानदान, जिले की सियासत में जब भी चुनावी अठखेलियां हुई हैं इन परिवारों से किसी न किसी चेहरे ने बतौर प्रत्याशी ताल ठोकी है। इस चुनाव में समीकरण और हालात बदले-बदले से हैं। इन बड़े राजनीतिक परिवारों से कोई चेहरा चुनाव मैदान में नहीं है। हालांकि पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदुज्जमा के बेटे सलमान सईद ने जरूर कांग्रेस से बगावत कर चुनाव में ताल ठोकी है। ऐसा नहीं कि इन राजनीतिक परिवारों ने इस चुनाव में दूर बनाई हो। असल बात यह है कि इस मर्तबा दाव खेलने वाले राजनीतिक दल ही मुस्लिम चेहरों से दूरी बनाते दिखे हैं। गठबंधन के टिकट को मुस्लिम दावेदारों की लंबी थी कतार
जिले की विधानसभा सीटों पर सपा रालोद गठबंधन से टिकट मांगने वालों की कतार लंबी थी। पूर्व राज्यसभा सदस्य अमीर आलम खां के पुत्र नवाजिश आलम बुढ़ाना या चरथावल सीट से रालोद का टिकट चाहते थे। नवाजिश आलम बुढ़ाना से विधायक रह चुके हैं। वहीं पूर्व एमएलसी चौधरी मुश्ताक के पुत्र नदीम चौधरी और चरथावल से बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके नूर सलीम राणा भी गठबंधन से टिकटार्थी थे। मीरापुर विधानसभा से हाजी लियाकत अली के साथ-साथ कई मुस्लिम चेहरे टिकट की कतार में थे। लियाकत अली 200 से भी कम वोट से पिछला विधानसभा चुनाव अवतार सिंह भड़ाना से हारे थे। खतौली सीट से भी मुस्लिम टिकटार्थियों की लाइन लंबी थी।
सभी छह सीटों पर रालोद का सिबल
मुस्लिमों को अपना पुख्ता वोट मानने वाली सपा ने रालोद से गठबंधन किया, लेकिन जिले की छह विधानसभा सीटों में किसी मुस्लिम प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया। जिले की छह में से पांच सीटों पर प्रत्याशी रालोद के सिबल पर चुनाव मैदान में हैं। सिर्फ चरथावल से पूर्व विधायक पंकज मलिक को रालोद ने अपना सिबल देने से परहेज किया है। पुरकाजी से अनिल कुमार, खतौली से राजपाल सैनी, मीरापुर से चंदन चौहान और मुजफ्फरनगर से सौरभ स्वरूप प्रत्याशी रालोद के हैं, लेकिन नेता सपा के। बुढ़ाना से सिर्फ पूर्व विधायक राजपाल बालियान को रालोद का विशुद्ध प्रत्याशी माना जा सकता है। बता दें कि जो जिस सिंबल से जीतेगा उसी पार्टी का विधायक होगा।
अब तक यह रहे मुस्लिम विधायक
जिले में 1957 में बुढ़ाना विधानसभा सीट से कुंवर असगर अली निर्दल चुनाव जीतकर पहले मुस्लिम विधायक बने। इनसे पहले वर्ष 1951 में मुजफ्फरनगर ईस्ट विधानसभा से सईद मुर्तजा बीकेडी के सिबल पर चुनाव हारे थे। वर्ष 1962 में अहमद बख्श ने कांग्रेस के टिकट पर जानसठ सीट से जीत हासिल की। 1969 में सईद मुर्तजा मुजफ्फरनगर सीट से बीकेडी से विधायक बने। इनसे दो चुनाव बाद मेंहदी असगर अली मोरना विधानसभा सीट से 1980 में जेएनपी सेक्युलर के सिबल पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1985 में सईदुज्जमां कांग्रेस से विधायक बने। 1989 में अमीर आलम खां मोरना से जनता दल से जीते। 2007 में कादिर राणा रालोद से मोरना से विधायक बने। 2012 के चुनाव में सबसे ज्यादा तीन, बसपा के टिकट पर नूर सलीम राणा चरथावल, सपा से नवाजिश आलम बुढ़ाना, बसपा से मौलाना जमील कासमी मीरापुर विधानसभा पहुंचे। बसपा ने दिखाई थोड़ी हमदर्दी
मुस्लिम मतों को अपने खेमे में करने के लिए बसपा ने थोड़ी हमदर्दी दिखाई है। चरथावल पर पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदुज्जमां के बेटे सलमान सईद, मीरापुर से मो. शालिम, खतौली से माजिद सिद्दिकी और बुढ़ाना से हाजी अनीस को टिकट दिया है। उधर, आजाद समाज पार्टी ने मुजफ्फरनगर से प्रवेज आलम और बुढ़ाना से सलीम चौधरी को टिकट देकर संतुलन बनाने की कोशिश की है।