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आवारा आतंक : गलियों से गुजरने में लगता है डर

शहर और देहात का ऐसा शायद ही कोई मोहल्ला हो जहां लोगों को आवारा आतंक अर्थात कुत्तों से परेशानी न उठानी पड़ रही हो। आलम यह है कि शहर में एडीए से अधिकृत और आधुनिक सुविधाओं से लैस कालोनियों में भी कुत्ते घूम रहे हैं। कई गलियां तो ऐसी हैं जहां से गुजरने में डर बना रहता है कि कहीं कुत्तों के झुंड की चपेट में न आ जाएं। नगरपालिका ने सालों से कुत्तों को पकड़ने का अभियान नहीं चलाया है। योजनाएं कागजों में बनी हैं और वहीं तक सिमट जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:16 PM (IST)
आवारा आतंक : गलियों से गुजरने में लगता है डर
आवारा आतंक : गलियों से गुजरने में लगता है डर

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। शहर और देहात का ऐसा शायद ही कोई मोहल्ला हो जहां लोगों को आवारा आतंक अर्थात कुत्तों से परेशानी न उठानी पड़ रही हो। आलम यह है कि शहर में एडीए से अधिकृत और आधुनिक सुविधाओं से लैस कालोनियों में भी कुत्ते घूम रहे हैं। कई गलियां तो ऐसी हैं, जहां से गुजरने में डर बना रहता है कि कहीं कुत्तों के झुंड की चपेट में न आ जाएं। नगरपालिका ने सालों से कुत्तों को पकड़ने का अभियान नहीं चलाया है। योजनाएं कागजों में बनी हैं और वहीं तक सिमट जा रही हैं।

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शहर सहित देहात में भी आवारा कुत्तों की फौज बढ़ती जा रही है। शहर की कालोनी साकेत, आर्यपुरी, साउथ सिविल लाइन, इंदिरा कालोनी, किदवईनगर, खालपार, लद्दावाला, योगेंद्रपरी, नई मंडी, गांधी कालोनी, शांतिनगर, गांधीनगर व मल्हूपुरा आदि कालोनियों में कुत्तों का आतंक रहता है। इन कालोनियों के कई रास्तों से निकलने में लोगों को डर लगता है। कई मोहल्लों में कुत्तों में आपस में ही वर्चस्व की जंग होती है। इससे लोग भयभीत हो उठते हैं।

आए दिन अस्पताल पहुंच रहे 50 लोग

गली-मोहल्लों में आए दिन आवारा कुत्ते नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। जिला अस्पताल सहित सीएचसी पर हर माह करीब 150 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। हालांकि आधे भी नागरिक सरकारी अस्पताल में नहीं पहुंचते हैं। अधिकतर कुत्ता काटने पर निजी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाते हैं। दो वर्ष पूर्व चरथावल क्षेत्र में एक आवारा कुत्ते ने बालक को नोंचकर मार दिया था। लापरवाह नगरपालिका प्रशासन

वैसे तो कुत्ता पालने के लिए नगरपालिका स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी है, लेकिन कुत्ता पालने से पहले लोग लाइसेंस नहीं लेते हैं। सालों से कुत्ता पालने के लिए शहर से किसी भी व्यक्ति ने लाइसेंस नहीं लिया। वहीं पालिका प्रशासन भी लोगों को ऐसे करने के लिए जागरूक नहीं कर पा रहा है। कुत्तों को पकड़ने का अभियान भी धरातल पर दम तोड़ रहा है।

नागरिक झेल रहे परेशानी

नई मंडी संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के संरक्षक अनिल कंसल का कहना है कि आवारा कुत्तों और बंदरों के आतंक के बारे में कई बार नगरपालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल और ईओ को अवगत कराया गया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। संगठन के अध्यक्ष प्रवीण जैन एवं महामंत्री विवेक कुच्छल ने बताया कि नई मंडी क्षेत्र व गांधी कालोनी में कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोग परेशान हैं, लेकिन पालिका प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इनका कहना है..

आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा। पूर्व में भी अभियान चलाया गया था। संबंधित को इसके लिए निर्देशित किया गया है।

- अंजू अग्रवाल, पालिका चेयरपर्सन

कुत्तों के काटने के आए दिन मामले आ रहे हैं। एंटी रैबीज वैक्सीन की डोज की पहले कमी थी, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है।

- पंकज अग्रवाल, सीएमएस


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