Tabligi Jamat Maulana Saad : कुरान और हदीस से जुड़ीं तकरीरों में निजी राय रखने वाले मौलाना साद स्वयंभू अमीर
Tabligi Jamat तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज के साथ सुर्खियों में आए मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मोहम्मद साद है।
मुजफ्फरनगर [मनीष शर्मा]। देश में कोरोना के कहर से लड़ रही केंद्र तथा राज्य सरकारों के सामने बड़ा संकट खड़ा करने वाले मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता रहा है। तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज के साथ सुर्खियों में आए मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मोहम्मद साद है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सबसे बड़े खलनायक के तौर पर उभरे तब्लीगी जमात के स्वयंभू अमीर बनने से लेकर अभी तक मौलाना साद का पुराना नाता रहा है।
जिला शामली (पूर्व में मुजफ्फरनगर) में कांधला के मौलाना हारुन के साहबजादे मौलाना साद और उनके ख्याल जिस जिस देवबंदी विचारधारा से प्रेरित होकर तब्लीगी जमात की बुनियाद पड़ी उसके ही मुखालिफ खड़े हो गए। यही कारण है कि दारुल उलूम देवबंद ने भी माना कि मौलाना साद की कुरान और हदीस से जुड़ीं तकरीरों में उनकी निजी राय शामिल रहती है। इतना ही नहीं तब्लीगी जमात का अमीर बनने की खातिर मौलाना साद ने सारे नियम-कायदे ध्वस्त कर दिए।
कांधला के मोहम्मद इस्माइल के घर जन्मे मौलाना इलियास कांधलवी ने देवबंदी विचारधारा से प्रेरित होकर 1927 में तब्लीगी जमात की स्थापना इसलिए की थी कि दीन से भटके लोगों को कुरान और हदीस के हवाले से इस्लाम के सच्चे रास्ते पर ला सकें। मौलाना इलियास कांधलवी के इंतकाल के बाद उनके बेटे मौलाना यूसुफ तब्लीगी जमात के अमीर बने। मौलाना यूसुफ के बाद जमात की अमीरीयत उनके नूर-ए-चश्म मौलाना हारुन को मिलनी थी, लेकिन उनका बेवक्त इंतकाल हो गया। ऐसे में मौलाना इलियास कांधलवी के भांजे मौलाना इनाम उल हसन को तब्लीगी जमात की बागडोर सौंपी। इसके बाद में उनके बेटे मौलाना जुबैरउल हसन अमीर बने। यहीं से तब्लीगी जमात का सिरमौर बनने का असल द्वंद्व शुरू हुआ।
दरअसल, मौलाना इनाम उल हसन ने जमात के संचालन के लिए एक दस सदस्यीय शूरा कमेटी गठित कर दी। 1995 में मौलाना इनाम उल असन का इंतकाल हो गया। सूरा कमेटी काम करती रही, लेकिन मौलाना साद को यह मंजूर नहीं था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रायङ्क्षवड मरकज के मौलाना मोहम्मद अब्दुल वहाब की बनाई 13 सदस्यीय शूरा को दरकिनार कर संस्थापक मौलाना इलियास के पड़पौते मौलाना साद ने वर्ष 2015 में खुद को तब्लीगी जमात का अमीर घोषित कर दिया।
अमीरीयत को लेकर उठते रहे सवाल, विवादित रहे साद
तब्लीगी जमात का अमीर बनने को लेकर मौलाना साद हमेशा कटघरे में रहे हैं। दारुल उलूम नदवातुल उलमा के जैद मजाहिरी ने इस पर तब्लीगी जमात का बहम इख्तिलाफ और इत्तेहाद ओ इत्तेफाक में तफ्सील से इस बारे में लिखा है।
इतना ही नहीं दारुल उलूम देवबंद ने 6 दिसंबर 2016 और दो मार्च 2018 को मौलाना साद के मुखालिफ फतवे जारी किए। ऑनलाइन जारी फतवों में स्पष्ट लिखा गया कि जांच में यह सिद्ध हो चुका है कि कुरान और हदीस का व्याख्यान मौलाना साद अपने नजरिए से करते हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पत्र लिखकर मौलाना साद की तकरीरों और अमीरीयत पर सवाल खड़े किए गए।
कांधला के मकान पर ताला
मौलाना साद ने कांधला में आलीशान मकान बना रखा है। कांधला की सरजमीं इस्लाम के पाक मरकज से कम नहीं। यहां की मिट्टी में मौलाना इलियास और मौलाना इफ्तखारुल हसन सरीखे इस्लामिक विद्वानों की पैदाइश हुई। ये सादा पसंद और दीन से जुड़े लोग थे।
तब्लीगी जमात के संस्थापक और मौलाना साद के दादा मौलाना इलियास का पुश्तैनी घर आज भी एकदम सादा हैं, जबकि मौलाना साद ने कांधला के छोटी नहर के निकट आलीशान मकान बना रखा है। जानकार बताते हैं कि मौलाना साद कई मर्तबा अपने कांधला स्थित मकान पर आए हैं। फिलवक्त मकान पर ताला जड़ा है। मौलाना साद के तीन बेटे हैं, जिनमें मौलाना यूसुफ, इलियास व एक अन्य हैं।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में तो नहीं छिपे मौलाना साद
तब्लीगी जमात की पुख्ता पैठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में है। गृहजनपद होने के कारण शामली व मुजफ्फरनगर में तब्लीगी जमात की जड़ बेहद गहरी है। निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात में जिले से गए 28 लोग इसका पुख्ता प्रमाण है। पुलिस सूत्रों की मानें तो मौलाना साद की खोजबीन अंदरखाने यहां भी जारी है। संभावित व बड़े इस्लामिक मरकजों पर खुफिया नजर रखी जा रही है। हालांकि कोई भी खुलकर इसके लिए कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
लोग काटने लगे जमात प्रबंधन से कन्नी
इमाम व प्रख्यात शायर, मौलाना खालिद जाहिद ने बताया कि जमात का काम मौलाना इलियास कांधलवी साहब ने लोगों को सही राह पर लाने के लिए शुरू किया था। इस में लोग निस्वार्थ भाव से जुड़ते थे, लेकिन साल 2013 के बाद इस जज्बे में कमी आने से समाज का जिम्मेदार तबका व ज्यादातर उलमा इकराम मौजूदा जमात प्रबंधन से कन्नी काटने लगे हैं।
अब तब्लीगी जमात में विवाद अधिक
पूर्व सदस्य, अल्संख्यक आयोग उत्तर प्रदेश मुफ्ती जुल्फिकार ने बताया कि तब्लीगी जमात की बुनियाद लोगों को इस्लाम और दीन की शिक्षा देने के लिए हुई थी। मौलाना इनाम उल हसन साहब के अमीर रहने तक सब सही चलता रहा। बाद में अमीरीयत को लेकर तब्लीगी जमात में विवाद हो गए। देवबंदी विचारधारा से जमात की पैदाइश हुई और दारुल उलूम ने ही इनके खिलाफ बयान दिया था।
जमातियों की तलाश जारी
डीआइजी सहारनपुर रेंज उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मंडल के जिलों से निजामुद्दीन मरकज में गए जमातियों को तलाशा जा रहा है। पुलिस पूरी तरह सतर्क है। मौलाना साद के संबंध में अभी दिल्ली पुलिस ने संपर्क नहीं किया है। यदि दिल्ली पुलिस सूचित करती है तो पूरी सहायता की जाएगी।