कोरोना के दौर में आनलाइन शिक्षा को फिर तैयार स्कूल-अभिभावक
दूसरे चरण में बढ़ते कोरोना ने शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन प्रक्रिया फिर से प्रभावित करनी शुरू कर दी। छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कक्षा एक से 12वीं तक के विद्यालय 30 अप्रैल तक बंद करने की घोषणा कर दी जिससे स्कूल संचालकों की चिता जरूर बढ़ गई है लेकिन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए आनलाइन पठन-पाठन की प्रक्रिया फिर से तेज हो गई है। आनलाइन शिक्षण कार्य को स्कूल संचालक और अभिभावक तैयार दिखाई देने लगे हैं।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। दूसरे चरण में बढ़ते कोरोना ने शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन प्रक्रिया फिर से प्रभावित करनी शुरू कर दी। छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कक्षा एक से 12वीं तक के विद्यालय 30 अप्रैल तक बंद करने की घोषणा कर दी, जिससे स्कूल संचालकों की चिता जरूर बढ़ गई है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए आनलाइन पठन-पाठन की प्रक्रिया फिर से तेज हो गई है। आनलाइन शिक्षण कार्य को स्कूल संचालक और अभिभावक तैयार दिखाई देने लगे हैं।
मार्च, 2020 में कोरोना की पहली लहर ने स्कूलों में पठन-पाठन प्रक्रिया प्रभावित की थी। उस दौरान बच्चों को आनलाइन शिक्षा से जोड़ने का नायाब तरीका निकाला गया। सीबीएसई और यूपी बोर्ड के निजी स्कूलों के बाद परिषदीय विद्यालय में मोहल्ला कक्षाएं और वाट्सएप से आनलाइन कक्षाओं से बच्चों को जोड़कर आदत डाली गई। कोरोना कम होने पर कक्षाएं शारीरिक दूरी के साथ शुरू हुई, लेकिन माध्यमिक स्कूलों का नया सत्र शुरू होने के बाद फिर से कोरोना बढ़ने के चलते प्रदेश में 12वीं तक के सभी स्कूल और कोचिग सेंटर 30 अप्रैल तक बंद करने की घोषणा कर दी गयी। स्कूल संचालक और अभिभावकों ने शुरुआत में ही मन बना लिया है कि बच्चों को सुरक्षित रखते हुए उनकी शिक्षा-व्यवस्था मजबूत रहे। अभिभावक भी बच्चों को आनलाइन पढ़ाने को तैयारी कर रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना चुनौती बन गया है। परिषदीय विद्यालयों की घरेलू परीक्षाओं पर ग्रहण
बीएसए मायाराम का कहना है कि कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रदेश में आठवीं तक के विद्यालय मार्च में ही बंद हो गए थे। इस कारण जिले में 22 से 28 मार्च तक होने वाली परिषदीय विद्यालयों की घरेलू परीक्षाएं भी आगे बढ़ गई, लेकिन जो स्थिति अब बनती जा रही है उसको देखकर लग रहा है कि परीक्षाएं या तो आनलाइन होंगी या फिर कोई नया आदेश आएगा। अभी आनलाइन कक्षा और परीक्षाओं को लेकर कोई आदेश नहीं मिला है। यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो संभावना है कि मोहल्ला कक्षाओं से ही बच्चों को फिर पढ़ाना पड़ेगा। इनका कहना है..
सरकार के आदेश से उपर कुछ नहीं है। कोरोना के भयंकर रूप को देखकर ही बच्चों की सुरक्षा का फैसला लिया गया है। हम बच्चों की आनलाइन कक्षा के लिए तैयार है। बस बच्चों का भविष्य देखते हुए अभिभावकों से भी सहयोग की आशा है। ऐसा न हो कि बच्चा केवल आनलाइन कक्षा में हाजिरी देकर लापता हो जाए। स्कूलों में शिक्षक आनलाइन कक्षा देंगे। घर पर अभिभावक बच्चों में अनुशासन बनाकर रखें।
- कमलेश शर्मा, प्रधानाचार्या, चिल्ड्रेन एकेडमी हाईस्कूल
कोविड की मजबूरी में आनलाइन ही पठन-पाठन प्रक्रिया चलेगी, लेकिन कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई करना और आनलाइन पढ़ने में बड़ा अंतर है। आनलाइन का 100 प्रतिशत परिणाम नहीं आ पाता है। 12वीं कक्षा की प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए तो बच्चे स्कूल आएंगे, लेकिन शारीरिक दूरी का ध्यान रखा जाएगा। आनलाइन कक्षा की तैयारी भी की जा रही है, ताकि हालात न सुधरने पर पढ़ाई पर ज्यादा फर्क न पड़े।
- विश्वरत्न, निदेशक, शारदेन स्कूल कोरोना महामारी चल रही है। सरकार ने सभी की भलाई सोचकर ही स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है। सबसे पहले बच्चों को सुरक्षित किया जा रहा है, जिसमें अभिभावकों की भी भलाई है। आनलाइन कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा, जिसके लिए अभिभावक तैयार हो गए हैं।
- राहुल गोयल, अध्यक्ष, जागरूक अभिभावक संघ समिति