नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की..
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कुछ स्थानों पर मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जबकि कुछ स्थानों पर बुधवार को मनाया जाएगा। श्रद्धालुओं ने पूरे दिन व्रत रखा। आधी रात में घर-घर में कान्हा ने जन्म लिया। इसके बाद भगवान का अभिषेक कर तथा आरती उतारकर पूजा-अर्चना की गई।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कुछ स्थानों पर मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जबकि कुछ स्थानों पर बुधवार को मनाया जाएगा। श्रद्धालुओं ने पूरे दिन व्रत रखा। आधी रात में घर-घर में कान्हा ने जन्म लिया। इसके बाद भगवान का अभिषेक कर तथा आरती उतारकर पूजा-अर्चना की गई। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की.. भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। इसके बाद श्रद्धालुओं ने व्रत खोला।
जन्माष्टमी की तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी। श्री गोलोकधाम मंदिर गांधी कालोनी, भरतिया कालोनी स्थित श्री बालाजी धाम, गणेश धाम मंदिर, श्यामा श्याम मंदिर गांधीनगर, काली नदी घाट स्थित आत्मबोध आश्रम मंदिर के अलावा श्री राधा कृष्ण के मंदिरों को परिसर के अंदर रंग बिरंगी लाइटों, झालरों, फूलों की मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया। शारीरिक दूरी, मास्क व सैनिटाइजर आदि का ध्यान रखते हुए कुछ भक्तों ने मंदिरों के दर्शन किए। मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव पर होने वाले कार्यक्रम नहीं हो सके। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार ज्यादातर लोगों ने जन्माष्टमी पर्व घर पर ही मनाया। श्रद्धालुओं ने मंगलवार को स्नान आदि के बाद व्रत रखा। घर पर ही लड्डू गोपाल सजाए गए। तीन बार भव्य आकर्षक पोशाकों से भगवान का श्रृंगार किया। कई जगह गली मुहल्ले के बच्चों ने घर पर ही मटकी फोड़ व राधा कृष्ण की झांकियां सजाई। रात 11.32 बजे चंद्रोदय के पश्चात भगवान का अभिषेक किया। भोग लगाकर तथा आरती उतारकर प्रसाद का वितरण किया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने अपने व्रत खोले। जय मां शक्ति मंदिर के पुजारी एवं कथावाचक पं. अवधराज आचार्य ने जन्माष्टमी पर भक्तों से मंदिरों में भीड़ नहीं करने तथा घर पर ही भगवान का जन्मोत्सव मनाने, भक्तों से शारीरिक दूरी बनाए रखने तथा मास्क लगाकर कोरोना वायरस को मात देकर प्रशासन का सहयोग करने की अपील की।
घर पर बनाए मिष्ठान
महिलाओं ने जन्माष्टमी की तैयारियों के लिए बाजार से खरीदने के बजाय घर पर ही मिष्ठान के रूप में पेड़ा, लड्डू, बर्फी, चौलाई के लड्डू आदि तैयार किए।
कान्हा का श्रृंगार कर पालना झुलाया
भक्तों ने कान्हा को मोरपंखी, लहंगे वाली पोशाक तथा लाल रंग की पोशाक से श्रृंगार किया। इसके बाद पालना झुलाया।