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आस्था का केंद्र है बधाई खुर्द का शिव मंदिर

मुजफ्फरनगर जेएनएन। बधाई खुर्द के मुख्य मार्ग पर स्थित शिव मंदिर पौराणिक काल से ही श्रद्धालुओं क

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 12:07 AM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 12:07 AM (IST)
आस्था का केंद्र है बधाई खुर्द का शिव मंदिर
आस्था का केंद्र है बधाई खुर्द का शिव मंदिर

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। बधाई खुर्द के मुख्य मार्ग पर स्थित शिव मंदिर पौराणिक काल से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर में प्रतिदिन भगवान आशुतोष पर जलाभिषेक कर उनकी आराधना करते हैं। सावन मास की चौदस को दिन-भर शिव मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। आसपास के गांवों के लोग और दूर-दराज से भी शिव भक्त शिवलिग पर रुद्राभिषेक करने आते हैं। मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से महादेव की पूृजा अर्चना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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इतिहास

गांव में पहले सिर्फ भोलेनाथ की पिडी ही थी। पं तिलकराम शर्मा ने 1957 में मंदिर निर्माण कराया। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब से गांव है, तभी से यहां शिवालय भी है। शिव मंदिर 100 वर्षों से भी अधिक पौरागिक बताया जाता है। 1990 में शिव मंदिर में पं तिलकराम शर्मा ने भगवान शिव परिवार में गणेश, पार्वती, कार्तिकेय समेत नंदी गणों की मूर्तियों की स्थापना करायी थी। पंडित तिलक राम के पौत्र ब्रजमोहन शर्मा ने 25 अप्रैल 2008 में मंदिर में दुर्गे माता, भैरव और हनुमान की मूर्तियों की स्थापना कराई। पिडी के बारे में कई मान्यताएं है वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना कि यह स्वयं प्रकट हुई।

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विशेषता

शिवालय की ख्याति दूर तक फैली है। सावन मास में हजारों लोग यहां भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने आते हैं। मान्यता है कि श्रद्धालु शिव मंदिर में भगवान की आराधना कर जो कुछ मांगते हैं, वह मनोकामना अवश्य पूण होती है। मंदिर के पुजारी पं ब्रजमोहन ने बताया कि 25 अप्रैल 2008 में उन्होंने मूर्तियों की स्थापना के समय भगवान शिव से अपने बेटे के यहां पुत्र प्राप्ति की मनोकामना की थी, जो उसी तारीख को दो वर्षो के बाद उनके बेटे के यहां पुत्र का जन्म हुआ। इसी दिन मंदिर का हर साल वाषिकोत्सव मनाया जाता है, इसमें हलवा पूरी भोजन कराया जाता है, प्रसाद वितरण भी किया जाता है। मंदिर में हर वर्ग के श्रद्धालु हर सुबह अपनी-अपनी मनोकामनाओं को लेकर जलाभिषेक करने आते हैं। मंदिर में सुबह-शाम आरती व भजन होते हैं। समय-समय पर मंदिर में श्रद्धालुओं को वेदों के बारे में भी शिक्षित किया जाता है।

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मंदिर में श्रद्धालु सच्चे मन से जो मनोकामना ईश्वर से मांगते है, वह पूर्ण होती है। शिव मंदिर निर्माण मेरे दादा ने कराया था। यहां दूर-दराज के इलाकों से भी लोग भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने आते हैं।

- पंडित ब्रजमोहन शर्मा

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शिव मंदिर में नियमित रूप से रुद्राभिषेक करने से भक्तों के कष्ट भोलेनाथ हर लेते है। मंदिर जाने से विशेष शांति का स्मरण होता है। यहां पर सभी भक्तजनों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ये गांव में भगवान शिव का इकलौता मंदिर है साथ ही ईश्वर की आस्था का केंद्र भी है।

- रामपाल शर्मा, श्रद्धालु


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