या अली मौला, हाय हुसैन की सदा बुलंद की
हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर शिया सोगवार जार-जार रोए।
पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) : हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर शिया सोगवार जार-जार रोए। नगर में शिया समुदाय की ओर से मातमी जुलूस निकाला गया। नगर पंचायत की ओर से सफाई कराई गई। प्रभारी निरीक्षक फोर्स के साथ मौजूद रहे।
मोहर्रम के त्योहार को लेकर कस्बे में दस दिन से कार्यक्रम चल रहे थे। मोहर्रम की दस तारीख को शिया सोगवारों ने कस्बे में मातमी जुलूस निकालकर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। शुक्रवार को शिया सोगवारों ने बड़े इमामबाड़ा (बड़ा दरबार) में पहले मजलिस की। खिताब फरमाते हुए मौलाना नसीम अख्तर ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए कर्बला में अपनी शाहदत दी थी। मौलाना ने कर्बला का किस्सा बयां किया, जिसे सुनकर शिया सोगवार जार-जार रोये। मजलिस के बाद शिया सोगवारों ने अलम के साथ बड़ा दरबार, सब्जी मंडी, मेन बाजार व जीटी रोड से मातमी जुलूस निकाला। इस दौरान या अली मौला व हाय हुसैन की सदा बुलंद की। बाद में जुलूस के निर्धारित स्थान ईदगाह के बराबर में पहुंचने पर सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस दौरान एडवोकेट नसीम हैदर, मेहंदी रजा, पूर्व चेयरमैन तारिक मुस्तफा, बशारत खान, आजाद फरीदी, अनवर जैदी, अमीर अब्बास, कामिल रजा, इरशाद, लताफत खान व डॉ. चांद काजमी आदि मौजूद थे। नगर पंचायत की ओर से सफाई व्यवस्था कराई गई। प्रभारी निरीक्षक विजय ¨सह फोर्स के साथ मौजूद रहे। जुलूस के दौरान खेला गया पट्टा
मातमी जुलूस के दौरान कस्बे के दो अखाड़ों की ओर से पट्टा खेला गया। पठानों का अखाड़ा व कुरैशियों का अखाड़ा सबसे आगे रहा। अखाड़ों में शामिल युवकों ने सड़क पर लाठी-डंडे व तलवारों से पट्टा खेलकर कला का प्रदर्शन किया। इस दौरान आजाद फरीदी, कबीर खान व मकसूद आदि मौजूद रहे। शिया सोगवारों ने किया मातम
तितावी : मोहर्रम की दस तारीख पर बघरा, मुरादपुरा, सैदपुरा खुर्द, बुड़ीना खुर्द व ¨ढढावली आदि में ताजिया जुलजुनाह बरामद हुआ। शिया सोगवारों ने उसके बाद जंजीरों से मातम करते हुए खुद को लहूलुहान कर लिया। इस दौरान बघरा स्थित छोटा इमामबाड़ा में मोहम्मद हैदर ने मजलिस को खिताब फरमाया।
बड़ा इमामबाड़ा में मौलाना ऊन मोहम्मद ने मजलिस को खिताब फरमाते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने आतंक के खात्मे के लिए लड़ाई लड़ी। इस्लाम व इंसानियत और अमन को ¨जदा रखने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने कुनबे सहित 72 लोगों के साथ खुद को भी शहीद कर लिया। उधर, बघरा बस अड्डे पर सुन्नी व शिया समाज के लोगों ने सुंयक्त रूप से छबील लगाकर राहगीरों व सोगवारों की प्यास बुझाई।