शुकतीर्थ में करोड़ों खर्च के बाद भी कीचड़ व जलभराव
पौराणिक तीर्थनगरी शुकतीर्थ में विकास के नाम पर भले करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हों लेकिन नगरी में आज भी पानी की निकासी की कोई सुविधा नही है जिसके चलते गंगा घाट जाने वाले मुख्य मार्ग पर कीचड़ व जलभराव है। श्रद्धालुओं का गंगा घाट पर जाना दूभर हो गया है जिससे नगरी के साधु-संतों में रोष बना है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पौराणिक तीर्थनगरी शुकतीर्थ में विकास के नाम पर भले करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हों, लेकिन नगरी में आज भी पानी की निकासी की कोई सुविधा नही है, जिसके चलते गंगा घाट जाने वाले मुख्य मार्ग पर कीचड़ व जलभराव है। श्रद्धालुओं का गंगा घाट पर जाना दूभर हो गया है, जिससे नगरी के साधु-संतों में रोष बना है।
हरिद्वार के उत्तराखंड में चले जाने के बाद शासन-प्रशासन पौराणिक तीर्थनगरी शुकतीर्थ में विकास करने के दावे कर रहे हैं। पर्यटन विभाग व नमामि गंगे परियोजना आदि में 20 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं। शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याणदेवजी महाराज की पुण्यतिथि पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी करोड़ों रुपये के कार्यो का शिलान्यास किया था, लेकिन नगरी का विकास अभी कोसों दूर है। नगरी में आज भी पानी की निकासी की कोई सुविधा नहीं है, जिसके चलते गंगा घाट जाने वाले मुख्य मार्ग पर कीचड़ व जलभराव है, जिसके चलते श्रद्धालुओं का गंगा घाट पर जाना दूभर हो गया है, जिससे नगरी के साधु-संतो में रोष बना है।
पानी की निकासी की प्रशासन ने नहीं ली सुध
श्री गंगा सेवा समिति के महामंत्री महकार सिंह का कहना है कि मुख्य मार्ग पर पानी भरे होने से श्रद्धालुओं का गंगा घाट पर आना मुश्किल हो गया है। श्रद्धालुओं को घाट पर पहुंचने पर परेशानी हो रही है। गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य प्रेमशंकर मिश्र का कहना है कि नगरी के मुख्य मार्ग पर हो रहे कीचड़ में श्रद्धालुओं के वाहन धंस कर फिसल जाते हैं, जिससे कई लोगों को चोट भी लग चुकी है।
दंडी आश्रम के मनोहर लाल शर्मा का कहना है कि कई बार प्रशासन से पानी की निकासी की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। श्रीराम आश्रम से जुड़े विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि शुकतीर्थ पौराणिक तीर्थ स्थान है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करते हैं। नगरी के मुख्य मार्ग पर गंदगी होने से भारी परेशानी होती हैं। प्राचीन गंगा मंदिर के पंडित धर्मेद्र शर्मा का कहना है कि पानी की निकासी के बगैर नगरी की विकास संभव नहीं है। प्रशासन को पहले पानी की निकासी पर ध्यान देना चाहिए।