फंदे में पैर पड़ते ही कब्जा लेता है खटका
मुजफ्फरनगर डीएफओ सूरज ने बताया कि शिकारियों का यह खटका लोहे की जंजीर और लोहे ही पत्तियों (क्लैम्प) से बना कुंदा होता है। खटके एक सिरे को जमीन में करीब ढ़ाई से तीन फीट गहरा गढ्ड़ा खोदा जाता है। उसके बाद जंजीर व खटके का दूसरा करीब एक से डेढ़ मीटर दूरी सड़क स्थान पर जमीन के ऊपर घास-फूस में छिपा दिया जाता है। जैसे ही किसी जानवर का पैर जमीन पर बिछे खटके पर पड़ता है तो वह जानवर को जकड़ लेता है। उन्होंने बताया कि खटके में लगी लोहे
मुजफ्फरनगर, जेएनएन : शिकारियों का खटका लोहे की जंजीर और लोहे ही पत्तियों (क्लैम्प) से बना कुंदा होता है। खटके के एक सिरे के निकट जमीन में करीब ढाई से तीन फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। उसके बाद जंजीर व खटके का दूसरा सिरा करीब एक से डेढ़ मीटर दूर जमीन के ऊपर घास-फूस में छिपा दिया जाता है। जैसे ही किसी जानवर का पैर जमीन पर बिछे खटके पर पड़ता है तो वह उसे जकड़ लेता है।
डीएफओ सूरज ने बताया कि खटके में लगी लोहे की पत्तियां पांच से 10 सेकंड में ही जानवर के पैर को जकड़ लेती हैं। जानवर जितनी छटपटाहट करेगा, खटका उतनी ही मजबूत पकड़ बना लेगा। खटका स्वत: नहीं खुलता है। उसे शिकारी अपने विशेष औजार से खोलता है। तेंदुआ का पंजा चौड़ा होता है, जिस कारण खटका उसे अधिक मजबूती से पकड़ लेता है। तेंदुआ जहां फंसा था वह खेतों के बीच का रास्ता है। संभावना है कि तेंदुआ नजदीक ही ट्यूबवेल पर पानी पीने आ रहा होगा, जिस कारण वह फंस गया। संभवत: शोर मचने के कारण खटका लगाने वाले शिकारी वहां से भाग निकले होंगे।