जानिए इन दुकानों का 54 सालों से क्यों नहीं बढ़ा किराया
नगर पालिका की दुकानों को 1965 किराएदारी पर दिया गया। पिछले 54 साल से दुकानों के किराए में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी है। ताज्जुब है कि वर्तमान में अधिकांश दुकानों का किराया 150 से 200 रुपये तक ही है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन।
नगर पालिका की दुकानों को 1965 किराएदारी पर दिया गया। पिछले 54 साल से दुकानों के किराए में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी है। ताज्जुब है कि वर्तमान में अधिकांश दुकानों का किराया 150 से 200 रुपये तक ही है। ऐसे में पालिका के राजस्व को प्रतिवर्ष लाखों रुपये का घाटा हो रहा है। वर्ष 2006 में सिकमी किराएदारी की व्यवस्था की गई थी, जो लागू नहीं हो सकी है। शहर में गोल मार्केट, मीना बाजार, प्रकाश चौक, झांसी रानी चौक, भगत सिंह, सब्जी मंडी आदि 17 स्थानों पर करीब 509 दुकानें बनी हैं। इनमें अधिकांश दो मंजिला हैं। अब पालिका नए सिरे से किराएनामे के साथ क्षेत्रवार प्रीमियम राशि तय की है। किराया नहीं बढ़ने के पीछे टैक्स और लाइसेंस विभाग की लापरवाही सामने आई है। इसमें कर अधीक्षक से लेकर बाबुओं तक खेल पकड़ में आया है।
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पूर्व प्रशासक ने बनाई थी कमेटी
वर्ष 2006 में पालिका में बोर्ड भंग था, जिसको लेकर प्रशासक रहे अमरनाथ उपाध्याय ने छह लोगों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी से किराएदारों का सत्यापन, किरायानामा की जांच कराई गई। उस वक्त भी बड़े पैमाने पर घपलेबाजी मिली थी। दुकानदारों से किरायानामा नहीं भरवाया गया। वहीं, स्टांप शुल्क तक जमा नहीं कराया गया। तब प्रशासक अमरनाथ ने दुकानों का वर्गीकरण किराया, प्रीमियम राशि निर्धारित की थी। प्रमुख बाजारों की दुकानों का किराया प्रतिमाह दो हजार से अधिक बना था, मगर विरोध के चलते व्यवस्था भेंट चढ़ गई।
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यह थे किराए के नियम
पालिका क्षेत्र में दुकानों को एक ही व्यक्ति के नाम अलॉट किया जा सकता है, जो अधिकतम पंद्रह साल किराएदार रह सकता है। हर पांच साल में 12.5 फीसद किराया बढ़ेगा। पंद्रह साल बाद बोली लगाकर नया किरायानामा तय होगा। जिसमें किराएदार को स्टांप ड्यूटी के साथ पालिका के रजिस्ट्री विभाग संपूर्ण डिटेल जमा करानी होगी। जिसमें व्यवसाय आदि की जानकारी देनी होगी।
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वर्जन..
अब तक जितने भी बोर्ड गठित हुए हैं, किसी ने पालिका के राजस्व को बढ़ाने पर जोर नहीं दिया है। पालिका की आय का जरिया दुकानें और टैक्स व्यवस्था है। ऐसे में इन्हें ही मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है।
-अंजू अग्रवाल, पालिकाध्यक्ष, नगर पालिका।
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